बैंकों के निजीकरण के विरोध में सोमवार को बैंककर्मी दो दिन की हड़ताल पर चले गए। इससे राजधानी की 15 से अधिक निजी व सरकारी बैंकों की करीब 500 शाखाओं में ताले लटके रहे। साथ ही अरबों का लेन-देन भी प्रभावित रहा। कई एटीएम भी खाली हो गए। कुछ में तकनीकी खराबी आई तो बकायदा तख्ती भी चस्पा कर दी गई। वहीं करीब 40 फीसद एटीएम पर रुपये खत्म हो गए। लगभग पांच हजार बैंककर्मी मंगलवार को भी हड़ताल पर रहेंगे।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस समेत बैंकों से जुड़े नौ अधिकारी-कर्मचारी संगठनों ने दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया था। इसके चलते पहले दिन सोमवार को बैंकें बंद रही। हड़ताल में बैंक मैनेजर से लेकर सफाई कर्मचारी तक शामिल हुए। इस कारण कामकाज पूरी तरह से ठप रहा।
कोरोना संक्रमण के चलते जिला प्रशासन द्वारा शहर में सार्वजनिक स्थान पर सामूहिक रैली, धरना, प्रदर्शन एवं सभा की अनुमति नहीं दी जा रही है। इस कारण हड़ताली बैंककर्मी एक साथ एक जगह इकट्ठा ना होकर अपने-अपने बैंकों के प्रशासनिक कार्यालयों के सामने एकत्रित हुए। मास्क व शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते हुए नारेबाजी की। सुबह करीब दो घंटे तक प्रत्येक बैंक के प्रशासनिक कार्यालय के सामने नारेबाजी की गई। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के को-ऑडिनेटर वीके शर्मा समेत संजीव सबलोक, अरुण भगोलीवाल, मदन जैन, दीपक रत्न शर्मा, नजीर कुरैशी, आशीष तिवारी, नलिन शर्मा, एमएस जयशंकर, संजय कुदेशिया, वीएस नेगी, संतोष जैन, सुनील सिंह, अंबर नायक आदि मौजूद थे।
एसोसिएशन के अनुसार बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत कुछ निजी बैंककर्मी भी हड़ताल पर रहे। मप्र की क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की शाखाएं भी बंद रही।
परेशानी से बचे डिजिटल लेन-देन करेंहड़ताल के पहले दिन लेन-देन पर खासा असर पड़ा। निजी व सरकारी किसी भी प्रकार का लेन-देन बैंकों से नहीं हुआ। हालांकि, बैंकों द्वारा ग्राहकों को हड़ताल के कारण असुविधा से बचने के लिए डिजिटल लेन-देन करने की सलाह दी गई थी। इसके चलते लोगों ने यूपीआइ, पीओएस मशीन समेत अन्य डिजिटल विकल्प के माध्यम से लेन-देन किया।