मुहर्रम के 60वें दिन कर्बला के शहीदों की याद में वाराणसी में साठे का जुलूस निकाला गया। नई सड़क से निकला साठे का मातमी जुलूस काली महल होते हुए फातमान तक गया। अलम, ताबूत, दुलदुल और अमारी के जुलूस में दर्द भरे नोहे भी गाए गए। अपने बदन को लहूलुहान करते लोग नाम आंखो से नोहे सुनते रहे। साठे के साथ ही गम का दो महीने आठ दिन का वक्त पूरा हो गया।
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