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विशेषज्ञों ने चेताया, कोसी नदी को बांधने से जलीय जीवों के मूवमेंट में परेशानी, अस्तित्व पर बनेगा संकट

बिहार में कोसी नदी को कई जगहों पर बांधने से जलीय जीवों पर संकट मंडराने लगा है। अगर सहरसा और सुपौल के प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो जलीय जीवों का अस्तित्व बचना मुश्किल हो जाएगा। हाल में जलीय जीवों के सर्वेक्षण को आई विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम ने पाया है कि कोसी नदी में 6 और 8 फीट की दूरी पर दस से 12 फीट की गहराई में कई जगहों पर बांस गाड़कर लंबा चचरी पुल बना लिया गया है। जिससे जलीय जीवों के मूवमेंट(विचरने) में परेशानी आ रही है। 

सर्वेक्षण टीम का नेतृत्व करने वाले जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया गंगा समभूमि प्रादेशिक केंद्र पटना के वरीय वैज्ञानिक व क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गोपाल शर्मा ने कहा कि कोसी नदी को बांस गाड़कर बांधना जलीय जीवों, जैविक संपदा और जंतु विविधता के लिए खतरनाक व नुकसान भरा कदम है। इससे जलीय जीवों खासकर डॉल्फिन के मूवमेंट में परेशानी होती है। सहरसा और सुपौल दोनों जिले के वन प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि नदी को बांधने का मामला सहरसा जिला क्षेत्र में अधिक है। कदम्मा जैसी जगह में हर दो किलोमीटर पर तीन जगहों पर बांस गाड़कर चचरी पुल बनाया गया है। जहां डॉल्फिन सहित अन्य जलीय जीवों के मूवमेंट में परेशानी होती देखी गई है।

कई जगहों पर नदी में पानी का कम होना भी खतरनाक
सर्वेक्षण टीम ने पाया है कि कई जगहों पर नदी में पानी कम है। वरीय वैज्ञानिक ने कहा कि कोसी नदी के पानी का उपयोग कई जगहों पर सिंचाई कार्य में किया जा रहा है। जो जैविक संपदा के दृष्टिकोण से सही नहीं है। 

आवागमन ले की गई चचरी पुल की व्यवस्था बढ़ा सकती मुश्किलें
नदी के रास्ते आवागमन को लेकर की गई व्यवस्था जलीय जीवों के साथ-साथ आम लोगों को भी मुश्किलों में डाल सकता है। विशेषज्ञों की राय में चचरी पुल में प्रयुक्त बांस पानी में अधिक दिन तक रहने के बाद सड़ जाता है और हादसे की वजह बन सकती। वहीं अधिक भार पड़ने और अत्यधिक पानी आ जाने पर भी इसके अचानक से टूटने का डर बना रहता है। इस कारण वैकल्पिक व्यवस्था के बदले लोगों को स्थानीय जिला प्रशासन और सरकार से आवागमन के लिए जल्द पुल का निर्माण करने की मांग रखनी चाहिए। हालांकि यहां के लोगों की मजबूरी यह है कि पुल सुविधा की मांग जल्द पूरी नहीं होती और मजबूरी में उन्हें खुद से चचरी पुल निर्माण जैसा कदम उठाना पड़ता है। सहरसा जिले के डेंगराही और कठडूमर को ही ले आश्वासन के सालों बीत गए पर पुल निर्माण की नींव तक नहीं रखी गई है।
 
कहते हैं जल विशेषज्ञ
जाने माने जल विशेषज्ञ दिनेश मिश्र कहते हैं नदी में चचरी पुल बनाना आवागमन का विकल्प नहीं है और गैर कानूनी है। इसके बदले पुल निर्माण की मांग सरकार और प्रशासन से रखनी चाहिए। लोकहित में सरकार और प्रशासन को भी जल्द पुल निर्माण कराते आवागमन की सुविधा देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नदी को बांधने से पहले विशेषज्ञ की राय जरूर लेनी चाहिए। नदी को बांधने से पब्लिक और जलीय जीव दोनों को नुकसान होगा। 

सहरसा के डीएफओ आर. के. सिन्हा ने कहा कि नदी को बांधना कानूनन जुर्म है। कई जगहों पर आवाजाही के लिए नदी होकर चचरी पुल बनाने की जानकारी मिली है उसे देखते हैं।

फोटो : सर्वेक्षण टीम को सहरसा जिला क्षेत्र में कोसी नदी में बनाई मिली चचरी पुल।