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केजीएमयू के 900 हेल्थवर्करों के टेस्ट में आया सामने, 10 फीसदी में एंटीबॉडी न मिलने से चिकित्सक हैरान

कोरोना की चपेट में आने या फिर टीकाकरण कराने वाले 90 फीसदी हेल्थवर्करों में एंटीबॉडी बन रही है। अभी भी 10 फीसदी में एंटीबॉडी नहीं बन रही है।

यह तथ्य सामने आया है किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन विभाग के सर्वे में। टीकाकरण और संक्रमित होने के बावजूद लोगों में एंटीबॉडी न बनने से चिकित्सक भी हैरान हैं।
ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन विभाग की ओर से संस्थान में काम करने वाले हेल्थवर्करों के सैंपल लेकर एंटीबॉडी की जांच की जा रही है। अभी तक करीब 900 लोगों का टेस्ट किया जा चुका है।

इनमें से ज्यादातर को टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी हैं। केवल संक्रमित हो चुके हेल्थवर्कर को ही दोनों डोज नहीं मिली हैं।
इनके टेस्ट में यह बात सामने आई है कि 90 फीसदी में एंटीबॉडी का निर्माण हो चुका है। पर 10 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी का निर्माण नहीं हो सका है।
सात सौ में सात प्रतिशत में नहीं मिली थी एंटीबॉडी
ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. तूलिका चंद्रा ने बताया कि धीरे-धीरे सर्वे का आकार बढ़ाया जा रहा है। 700 लोगों के सर्वे में सात प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी नहीं मिली थी। सर्वे का आकार जब 900 तक किया गया तो फिर एंटीबॉडी न मिलने वालों का आंकड़ा 10 फीसदी हो गया। अब आगे देखा जाएगा कि इससे ज्यादा साइज बढ़ने पर क्या रिजल्ट निकलकर आता है।
10 फीसदी लोगों का किया जा रहा विश्लेषण
सर्वे के दूसरे चरण में यह देखा जाएगा कि जिन 10 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी नहीं मिली है उनमें कोई समानता तो नहीं है। यह भी देखा जाएगा कि संक्रमण या टीकाकरण के कितने दिन बाद इनका सैंपल लिया गया था। इसके आधार पर पता लगाया जाएगा कि आखिर 10 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी न बनने की वजह क्या है।
सभी टीकों में 80 फीसदी सफलता का ही दावा
संक्रमण से बचाव के लिए सभी टीकों में 70 से 80 फीसदी सफलता का दावा किया जा रहा है। डॉक्टर अभी तक एंटीबॉडी न बनने के कारणों पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं, पर इसे टीकाकरण की सफलता प्रतिशत से जोड़कर भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि कुछ लोगों में टीकाकरण या फिर संक्रमण के बावजूद एंटीबॉडी नहीं बन पा रही है।
एंटीबॉडी जांचने को किया जा रहा सर्वे
केजीएमयू के ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने बताया कि हेल्थवर्कर में एंटीबॉडी जांचने के लिए यह सर्वे किया जा रहा है। करीब 900 लोगों में से 90 लोगों में एंटीबॉडी नहीं मिली है। इसके कारणों का पता लगाया जा रहा है। किसी नतीजे पर पहुंचने पर ही इस पर कुछ कहा जा सकता है।