उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव : बहुजन समाज पार्टी ने जिन सौ प्रत्याशियों की सूची जारी की है, उसमें सर्वाधिक 36 मुस्लिम प्रत्याशी हैं। मुसलमानों को सपा का परंपरागत वोट माना जाता है।
लखनऊ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जोरदार तैयारी से उतरी बहुजन समाज पार्टी ने आज अपने सौ प्रत्याशियों की सूची जारी की है। इसमें 78 नए प्रत्याशी हैं। यह सभी पहली बार बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी पर पहली बार चुनाव लड़ेंगे। बसपा ने दस विधायकों की सीट पर नए चेहरों को उतारने का साहस भी दिखाया है।
बहुजन समाज पार्टी ने आज जिन सौ प्रत्याशियों की सूची जारी की है, उसमें सर्वाधिक 36 मुस्लिम प्रत्याशी हैं। मुसलमानों को समाजवादी पार्टी का परंपरागत वोट माना जाता है। इसके बसपा ने सौ में 23 ब्राह्मण, 16 दलित व तीन महिला को प्रत्याशी बनाया है। सौ में 22 पार्टी के ही विधायक हैं। इसके साथ ही पार्टी से दस विधायकों की सीट पर नए चेहरे उतारे हैं।
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बसपा ने एक बार फिर सोशल इंजिनियरिंग फॉर्मूले के तहत मुस्लिमों को सबसे ज्यादा 36 टिकट दिए हैं। 23 ब्राह्मणों में सबसे ज्यादा चर्चित नाम पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय का है। उन्हें इस बार हाथरस के सादाबाद से टिकट मिला है। इसके अलावा ब्राह्मणों में एक और चर्चित नाम मथुरा से श्याम सुंदर शर्मा हैं, जो इसके पहले उपचुनाव में जीतकर विधायक बने थे। उन्हें मांट से टिकट दिया गया है।
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जिन विधायकों के स्थान पर नए चेहरों को उतारा गया है, उनमें सहारनपुर के बेहट के महावीर सिंह व नकुड़ से डॉ. धर्म सिंह सैनी, मुजफ्फरनगर की मीरापुर के जमील, बागपत की हेमलता, हाथरस (सुरक्षित) के गेंदा लाल चौधरी, कासगंज के अर्मापुर के ममतेश, आगरा के फतेहाबाद के छोटे लाल वर्मा, बिजनौर के नजीबाबाद से तस्लीम व बढ़ापुर से मो. गाजी, व नहटौर (सुरक्षित) से ओम प्रकाश हैं।
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बसपा मुखिया ने परसों ही लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि इस बार 403 में 97 मुस्लिम, 87 दलित, 106 अन्य पिछड़ा वर्ग, 66 ब्राह्मण, 36 ठाकुर तथा 11-11 वैश्व व कायस्थ प्रत्याशी हैं। बसपा का अब तक का गणित यही है कि दलित और मुस्लिम एकजुट होकर अगर उसके पक्ष में वोट करते हैं तो दूसरे दलों को परेशानी उठानी पड़ सकती है। उत्तर प्रदेश में करीब 19 फीसदी मुस्लिम और 22 फीसदी दलित हैं। 54 फीसदी पिछड़ी जाति का वोट बैंक है।