कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले के लिए नए उपचारों पर चल रहे शोध के साथ ही मौजूदा दवाओं में भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। यह दवा इस वायरस से जंग में मददगार साबित हो सकती है। आनलाइन पत्रिका इम्युनिटी में प्रकाशित अध्ययन के नतीजों के अनुसार, चूहों में एआरडीएस की रोकथाम में मेटफार्मिन दवा प्रभावी पाई गई है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस दवा में तंत्रिका तंत्र संबंधी बीमारियों के इलाज की भी संभावना हो सकती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि ब्लड शुगर को निम्न करने वाली मेटफार्मिन नामक दवा पल्मोनरी या लंग इंफ्लेमेशन की रोकथाम कर सकती है। फेफड़ों में इंफ्लेमेशन कोरोना संक्रमण की गंभीरता और मौत का बड़ा कारण बनता है। अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 का कारण बनने वाले सार्स-कोव-2 संक्रमित चूहों पर अध्ययन के आधार पर यह दावा किया है। टाइप-2 डायबिटीज पीड़ितों में आमतौर पर प्रारंभिक इलाज के रूप में मेटफार्मिन का इस्तेमाल किया जाता है। यह दवा लिवर में ग्लूकोज के उत्पादन में कमी लाने के साथ ब्लड शुगर के स्तर को कम करने का काम करती है। नतीजन इंसुलिन को लेकर प्रतिक्रिया में सुधार होता है। शोधकर्ताओं ने एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) पीड़ित चूहों पर यह अध्ययन किया। एआरडीएस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा होने से सांस लेने में तकलीफ होने के साथ अंगों को आक्सीजन नहीं मिल पाती है। यह स्थिति जानलेवा होती है। अस्पतालों में भर्ती कोरोना पीड़ितों में यह स्थिति मौत की प्रमुख वजह बन रही है।
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