उत्तरप्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Ram Janmbhumi Teerth Kshetra Nirman Trust) के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) ने हालिया भूमि विवाद (Land Dipute) पर सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि उन्हें रामजन्मभूमि का परिसर विस्तार करने के लिए भूमि की आवश्यकता है इसलिए वह जमीन खरीदी गई है और यह भूमि बाजार मूल्य से कम में खरीदी गई है. वहीं ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपालदास के उत्तराधिकारी कमलनयन दास ने कहा कि ट्रस्ट को हर मामले में लोगों से विचार-विमर्श करना चाहिए और अधिक पारदर्शिता बरतनी चाहिए.
ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने पहली बार अपने रिकार्डेड बयान के जरिये सफाई दी है. उन्होंने कहा कि मंदिर का परिसर बढ़ाने के लिए उन्हें और अधिक जमीन की आवश्यकता है. उसके लिए आसपास के घरों और मंदिरों से बात की जा रही है. जो जमीन खरीदी गई है, उसी जमीन में उन लोगों को स्थानांतरित किया जाएगा. जमीन विवाद को लेकर चंपत राय कहते हैं कि यह जमीन विक्रेता के पास लंबे समय से रही है और ट्रस्ट ने तत्परता दिखाते हुए बाजार मूल्य से कम दर पर वह जमीन खरीदी है. इसमें किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं है. साफ जाहिर है चंपत राय ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई जमीन पर अपना पक्ष रखने की कोशिश कर रहे हैं.
श्री राम जन्म-भूमि तीर्थ क्षेत्र श्री राम जन्म-भूमि मन्दिर को वास्तु शास्त्र के अनुसार भव्य स्वरूप प्रदान कराने, शेष परिसर को सभी प्रकार से सुरक्षित तथा दर्शनार्थियों के लिए सुविधापूर्ण बनाने के लिए कार्य कर रहा है. इस निमित्त मन्दिर के पूर्व व पश्चिम भाग में निर्माणाधीन परकोटा व रिटेनिंग वाल की सीमा में आने वाले महत्वपूर्ण मन्दिरों/स्थानों को परस्पर सहमति से क्रय किया जा रहा है.
तीर्थ क्षेत्र का निर्णय रहा है कि इस प्रक्रिया में विस्थापित होने वाले प्रत्येक संस्थान/व्यक्ति को पुनर्वासित किया जायेगा. पुनर्वास हेतु भूमि का चयन सम्बन्धित संस्थानों/व्यक्तियों की सहमति से किया जा रहा है. बाग बिजेसी, अयोध्या स्थित 1.20 हेक्टेयर भूमि इसी प्रक्रिया के अन्तर्गत महत्वपूर्ण मन्दिरों जैसे कौशल्या सदन आदि की सहमति से पूर्ण पारदर्शिता के साथ क्रय की गयी है.
ध्यान देने वाली बात है कि उपर्युक्त वर्णित भूमि अयोध्या रेलवे स्टेशन के समीप मार्ग पर स्थित एक प्रमुख स्थान (प्राइम लोकेशन) है. इस भूमि के सम्बन्ध में वर्ष 2011 से वर्तमान विक्रेताओं के पक्ष में भिन्न-भिन्न समय (2011, 2017 व 2019 ) में अनुबन्ध सम्पादित हुआ.
खोजबीन करने पर यह भूखण्ड हमारे उपयोग हेतु अनुकूल पाये जाने पर सम्बन्धित व्यक्तियों से सम्पर्क किया गया.
भूमि का जो मूल्य मांगा गया, उसकी तुलना वर्तमान बाजार मूल्य से की गयी. अन्तिम देय राशि लगभग 1,423/-रू0 प्रति वर्गफीट तय हुई जो निकट के क्षेत्र के वर्तमान बाजार मूल्य से बहुत कम है.
मूल्य पर सहमति हो जाने के पश्चात् सम्बन्धित व्यक्तियों को अपने पूर्व के अनुबन्धों को पूर्ण करना आवश्यक था, तभी सम्बन्धित भूमि तीर्थ क्षेत्र को प्राप्त हो सकती थी.
तीर्थ क्षेत्र के साथ अनुबन्ध करने वाले व्यक्तियों के पक्ष में भूमि का बैनामा होते ही तीर्थ क्षेत्र ने अपने पक्ष में पूर्ण तत्परता एवं पारदर्शिता के साथ अनुबन्ध हस्ताक्षरित किया व पंजीकृत कराया.
तीर्थ क्षेत्र का प्रथम दिवस से ही निर्णय रहा है कि सभी भुगतान बैंक से सीधे खाते में ही किये जायेंगे, सम्बन्धित भूमि की क्रय प्रक्रिया में भी इसी निर्णय का पालन हुआ है.
यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सरकार द्वारा लगाये गये सभी कर आदि का भुगतान हो जाये.
आरोप की भाषा में वक्तव्य देने वाले व्यक्तियों ने आरोप लगाने से पहले तीर्थ क्षेत्र के किसी भी पदाधिकारी से तथ्यों की जानकारी नहीं की.
इससे समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है. समस्त श्री राम भक्तों से निवेदन है कि वे ऐसे किसी दुष्प्रचार में विश्वास न करें. ताकि श्री राम जन्म-भूमि मन्दिर का पूर्ण पारदर्शिता के साथ चल रहा निर्माण कार्य शीघ्र निर्विघ्न सम्पन्न हो.
नृत्यगोपाल दास के उत्तराधिकारी बोले…
वहीं ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास लंबे समय से अस्वस्थ हैं. उनके उत्तराधिकारी कमल नयन दास मुख्यमंत्री को किसी भी प्रकार की चिट्ठी लिखे जाने से इनकार करते हैं लेकिन ट्रस्ट के हालिया जमीनी विवाद पर कहते हैं कि नृत्य गोपाल दास और उनको ट्रस्ट के किसी भी कार्यकलाप की जानकारी नहीं है ट्रस्ट को चाहिए कि लोगों से विचार विमर्श करने के बाद ही कोई कार्य करें और हर काम में अधिक से अधिक पारदर्शिता बरतें क्योंकि हिंदू जनमानस की अपेक्षाएं जुड़ी हुई है.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने कहा कि हमने कोई भी ऐसी चिट्ठी नहीं लिखी है. पहली बार इस विषय पर हमें कोई भी जानकारी नहीं है. यह विश्वास है इतनी बड़े घपलेबाजी नहीं हो सकती. महाराज जी पिछले साल अगस्त के प्रारंभ से अस्वस्थ हो गए. बहुत ज्यादा अस्वस्थ्य थे. दो बार उनको उपचार के लिए भर्ती कराना पड़ा. अब स्वस्थ भी हुए हैं तो हमारी इच्छा है कि सारे विवादों से महाराज जी को दूर रखा जाए. ऐसा कोई चिंतन महाराज जी के संज्ञान में नहीं आने देते हैं और उसी का परिणाम है कि महाराज जी सभी प्रकार से स्वस्थ हैं, प्रसन्न है. ट्रस्ट को सबसे विचार-विमर्श करना चाहिए. हम लोगों को इस विषय में कोई भी जानकारी नहीं है कि क्या हो रहा है? क्या नहीं हो रहा है?
सारा समाज मंदिर के निर्माण से प्रसन्न है. मंदिर का निर्माण होगा और राष्ट्र अखंड होगा. मेरी सोच और मेरा चिंतन केवल राष्ट्र के प्रति है. राम जन्मभूमि से भी बड़ा हमारे लिए राष्ट्र है. राष्ट्र है तो राम जन्मभूमि है और राष्ट्र नहीं तो कुछ भी नहीं. मुझे एक चिंतन बराबर रहता है कि जनसंख्या के विषमता आधार पर राष्ट्र का बंटवारा हुआ और यह विषमता वही तो क्या होगा? श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को और भी पारदर्शिता रखनी चाहिए. मैंने पहले बताया मुझे कोई जानकारी नहीं. वही लोग जानते हैं क्या है? क्या नहीं? ट्रस्ट से यह कहना चाहते हैं कि सबसे जानकारी रखें, सबसे राय सलाह लें, साधु संतों ने भी बलिदान दिया है और हम यही चाहते हैं कि सबके संज्ञान में आना चाहिए