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ई-रुपी से लाभार्थी को 100 प्रतिशत लाभ सुनिश्चित हो सकेगा : उद्योग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इलेक्ट्रॉनिक वाउचर पर आधारित एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम ‘ई-रुपी’ को लॉन्च किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत आज कैसे आधुनिक प्रौद्योगिकी की मदद से आगे बढ़ रहा है ‘ई-रुपी’ उसका एक प्रतीक है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि सरकार के अलावा, अगर कोई संगठन किसी को उनके इलाज, शिक्षा या किसी अन्य काम में मदद करना चाहता है, तो वे नकद के बजाय e-RUPI वाउचर दे सकेंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि उनके द्वारा दिए गए धन का उपयोग उस कार्य के लिए किया जाए, जिसके लिए राशि दी गई थी।प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि ‘ई-रुपी’ सफलता के नए अध्याय लिखेगा। सैकड़ों निजी अस्पतालों, उद्योग जगत, गैर सरकारी संगठनों और दूसरे संस्थानों ने भी इसको लेकर बहुत रुचि दिखाई है। उन्होंने राज्य सरकारों से भी आग्रह किया कि वह अपनी योजनाओं का सटीक और संपूर्ण लाभ सुनिश्चित करने के लिए ‘ई-रुपी’ का अधिक से अधिक उपयोग करें।

ई-रुपी आसान और सुरक्षित है

बता दें ‘ई-रुपी’ डिजिटल भुगतान के लिए एक कैशलेस और संपर्क रहित माध्यम है। इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से विकसित किया है। 

एनपीसीआई ने अपनी वेबसाइट में कहा है, “इस निर्बाध एकमुश्त पेमेंट सिस्टम के उपयोगकर्ता ई-रुपी स्वीकार करने वाले व्यापारियों पर कार्ड, डिजिटल भुगतान ऐप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस के बिना वाउचर को भुनाने में सक्षम होंगे। ई-रुपी को लाभार्थियों के साथ एक विशिष्ट उद्देश्य या गतिविधि के लिए संगठनों या सरकार द्वारा एसएमएस या क्यूआर कोड के माध्यम से साझा किया जाएगा। ” एनपीसीआई ने यह भी कहा है कि यह कॉन्टैक्टलेस ई-रुपी आसान और सुरक्षित है, क्योंकि यह लाभार्थियों के विवरण को पूरी तरह से गोपनीय रखता है। इस वाउचर के माध्यम से पूरी लेन-देन प्रक्रिया अपेक्षाकृत तेज और साथ ही विश्वसनीय है, क्योंकि आवश्यक राशि पहले से ही वाउचर में स्टोर है।

अब तक 1.78 लाख करोड़ रुपये बचा चुकी है सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि रसोई गैस सब्सिडी, राशन के पैसे और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का पैसा डीबीटी के जरिये सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाकर सरकार अब तक 1.78 लाख करोड़ रुपये बचा चुकी है। प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर फर्जी लाभार्थियों को बाहर किया गया। साथ ही चोरी को रोकने में भी सफलता मिली। प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को डिजिटल भुगतान के लिए ई-रुपी प्लेटफॉर्म के लॉन्चिंग मौके पर बोल रहे थे।

लाभार्थी को पूरा लाभ सुनिश्चित होगा

भारतीय उद्योग जगत का मानना है कि व्यक्ति और उद्देश्य केंद्रित डिजिटल भुगतान समाधान ई-रुपी से लक्षित लाभार्थी को पूरा लाभ सुनिश्चित हो सकेगा और उसमें किसी तरह की अपवंचना नहीं हो सकेगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष टी वी नरेंद्रन ने कहा कि इस भुगतान तंत्र के जरिये सरकार नागरिकों को मौद्रिक समर्थन बिना मध्यवर्ती इकाइयों के प्रदान कर सकेगी। उन्होंने कहा कि वाउचर प्रणाली से सभी लाभार्थियों (फीचर फोन के प्रयोगकर्ताओं सहित) को लाभ होगा। यह कॉरपोरेट के लिए भी एक अच्छा माध्यम साबित होगा। फिनटेक फर्म एफआईएस में सीआरओ भरत पांचाल ने कहा, “नया डिजिटल भुगतान मोड ई-रुपी मूल रूप से एक प्रीपेड वाउचर है, जिसे मोबाइल नंबर और पहचान की पुष्टि के बाद सीधे नागरिकों को जारी किया जा सकता है। ई-रुपी वाउचर को क्यूआर कोड या एसएमएस स्ट्रिंग-आधारित ई-वाउचर के रूप में लाभार्थी के मोबाइल नंबर पर पहुंचाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा, “लाभार्थी सेवा प्रदाता पर कार्ड, डिजिटल भुगतान ऐप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस के बिना वाउचर को भुना सकता है। यह उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी उपकरण होगा जो डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए निजी नहीं हैं, फिर भी सरकार यूपीआई द्वारा संचालित प्रीपेड ई-वाउचर के रूप में ‘लीक-प्रूफ तरीके’ से नागरिकों को सीधे डिजिटल रूप में मौद्रिक सहायता प्रदान कर सकती है।

योजनाएं जमीनी स्तर पर बेहतर होंगी

वहीं पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि यह देश के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया के विस्तार की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि आगे चलकर ई-रुपी से सरकार की विभिन्न योजनाएं जमीनी स्तर पर बेहतर हो सकेंगी। इससे सामाजिक कल्याण योजनाओं की प्रक्रिया तेज और सुगम हो सकेगी तथा साथ ही इससे कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व गतिविधियों में निजी क्षेत्र की दक्षता बढ़ेगी।