भारतीय मेंस हॉकी टीम ने गुरुवार को जापान की राजधानी टोक्यो में जारी ओलंपिक खेलों में इतिहास रच दिया। भारतीय टीम ने एक बेहद रोमांचक ब्रॉन्ज मेडल मुकाबले में जर्मनी को जर्मनी को 5-4 से हराकर ओलंपिक में 41 साल बाद कोई मेडल अपने नाम कर लिया। आठ बार की ओलंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय टीम एक समय मुकाबले में 1-3 से पिछड़ चल रही रही थी लेकिन दबाव से उबरकर उसने आठ मिनट में चार गोल दागकर ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया। मैच में कई ऐसे क्षण आए जब ऐसा लग रहा था कि भारत के हाथों से मेडल फिसल जाएगा। लेकिन खिलाड़ियों ने सही समय पर दबाव से बाहर निकलकर न सिर्फ खुद को साबित किया बल्कि पिछले चार दशक से भारत के मेडल जीतने के सूखे को भी समाप्त किया। जर्मनी ने मुकाबले में आक्रामक शुरुआत की और तिमूर ओरूज ने दूसरे मिनट में ही गोल करके अपनी टीम को 1-0 से आगे कर दिया। जर्मन टीम पहले क्वार्टर की समाप्ति के बाद एक गोल से आगे थी। लेकिन दूसरे क्वार्टर के शुरू होते ही भारत ने वापसी की और 17वें मिनट में ही बराबरी हासिल कर ली। भारतीय टीम के लिए सिमरनजीत ने यह गोल दागा। हालांकि इसके बाद जर्मनी ने भी अपना आक्रमण और तेज कर दिया तथा हाफ टाइम से कुछ मिनट पहले तक 3-1 की बढ़त बना ली थी। लेकिन भारत ने फिर जोरदार वापसी की और 27वें तथा 29वें मिनट में लगातार दो गोल करके हाफ टाइम तक स्कोर को 3-3 से बराबरी पर ला दिया। दूसरे हाफ के शुरू होते ही रूपिंदर पाल सिंह ने भी गोल दिया और भारत के स्कोर को 4-3 तक पहुंचा दिया। रूपिंदर के गोल के तीन मिनट बाद ही सिमरनजीत ने अपना दूसरा गोल दागते हुए भारत को 5-3 की शानदार बढ़त दिला दी। मैच में वापसी की कोशिशों में लगी जर्मनी ने जी जान लगा दिया, लेकिन वो इसके बाद सिर्फ एक ही गोल कर पाई और भारत ने 5-4 से मुकाबला जीतकर ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमा लिया। भारत की इस मेडल की जीत में 27 से लेकर 34 मिनट मैच का टर्निंग प्वाइंट्स साबित हुआ, जहां भारत ने सात मिनट के अंदर चार गोल दागे। भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन से ना सिर्फ ब्रॉन्ज मेडल जीता बल्कि सभी का दिल भी जीतने में सफल रही। भारतीय टीम पांच में से अपने बाकी चार ग्रुप मैच जीतकर दूसरे स्थान पर रही। टीम को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम को शुरुआती तीन क्वार्टर में कड़ी चुनौती देने के बावजूद 2-5 से हार झेलनी पड़ी। भारतीय टीम 1980 मॉस्को ओलंपिक में अपने आठ गोल्ड पदक में से आखिरी मेडल जीतने के 41 साल बाद ओलंपिक मेडल जीती है।
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