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ग्रेटर नोएडा के टॉय पार्क की बदलेगी सूरत, 134 उद्योगपतियों करेंगे 410 करोड़ रुपये का निवेश, जानें प्लान

ग्रेटर नोएडा में टॉय पार्क में देश के 134 उद्योगपतियों ने निवेश के प्रति दिलचस्पी दिखाई है। नोएडा के सेक्टर 33 में निर्मित टॉय पार्क में खिलौना बनाने की फैक्टरी लगाने के लिए उद्योगपतियों ने भूखंड लिए हैं। ये 134 उद्योगपति 410 करोड़ रुपये का निवेश कर जल्द ही टॉय पार्क में फैक्टरी स्थापित करेंगे। इन खिलौना फैक्ट्रियों में 6157 लोगों को स्थाई रोजगार मिलेगा। 

यूपी का पहला खिलौना क्लस्टर (टॉय पार्क) यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में विकसित करने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद यीडा के सेक्टर 33 में टॉय पार्क के लिए सौ एकड़ से अधिक जमीन खिलौना उत्पादन करने वाली इकाईयां के लिए चिन्हित की गई। इस पार्क में उद्योगपतियों को अपनी फैक्टरी स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया गया।

यीडा के अधिकारियों के अनुसार, राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए तैयार कराई गई इंवेस्टर फ्रेंडली नीतियों के चलते खिलौना कारोबार में कार्यरत कई बड़ी कंपनियों ने टॉय पार्क में अपनी फैक्टरी स्थापित करने के लिए कदम बढ़ाए हैं। अब तक 134 कंपनियों को टॉय पार्क में खिलौना फैक्टरी स्थापित करने के लिए जमीन आवंटित की गई है। जमीन पाने वाली कंपनियां जल्दी ही टॉय पार्क में फैक्टरी लगाने की कार्रवाई शुरू करेंगी। 

ये प्रमुख कंपनियां आएंगी

टॉय पार्क में जमीन लेने वाली देश की प्रमुख कंपनियों में फन जू टॉयज इंडिया, फन राइड टॉयस एलएलपी, सुपर शूज, आयुष टॉय मार्केटिंग, सनलार्ड अप्पारेल्स, भारत प्लास्टिक, जय श्री कृष्णा, गणपति क्रिएशन और आरआरएस ट्रेडर्स प्रमुख हैं। देश में बच्चों के खिलौने बनाने वाली बड़ी कंपनियों में फन जू टॉयस इंडिया और फन राइड टॉयस जैसी तमाम कंपनियों का नोएडा में फैक्टरी लगाने के लिए जमीन लेने को यीडा के अधिकारी महत्वपूर्ण घटना मान रहे हैं। 

अधिकारियों का कहना है टॉय पार्क में खिलौना फैक्टरी लगाने के लिए आगे आई ये कंपनियां चीन में बने खिलौनों की मार्केट को चुनौती देंगी। अभी देश में खिलौना बनाने वाली करीब चार हजार से ज्यादा इकाइयां हैं। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के अंतर्गत आने वाली इन इकाइयों में से 90 फीसद असंगठित हैं। 

एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2024 तक भारत का खिलौना उद्योग 147-221 अरब रुपये का हो जाएगा। दुनियाभर में जहां खिलौने की मांग में हर साल औसत करीब पांच फीसद के इजाफे की तुलना में भारत की मांग में 10-15 प्रतिशत का इजाफा हो रहा है। निर्यात की बात करें तो सिर्फ 18-20 अरब रुपये के खिलौने का निर्यात हो पाता है। 

भारत में जहां खिलौना निर्माता असंगठित हैं, वहीं खिलौने की गुणवत्ता भी बड़ी चुनौती है। निर्माण में लागत ज्यादा होने की वजह से भारतीय खिलौने अपने ही बाजार में आयातित खिलौने से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते। ऐसे में जरूरी था कि खिलौने की लागत कम करने की दिशा में कदम उठाए जाएं। इसके तहत ही राज्य में टॉय पार्क बनवाया गया है।