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यह कैसे कोविड मरीजों का इलाज, कोरोनाकाल में निजी अस्पतालों ने मरीजों को जमकर लूटा

कोरोनाकाल में दून के निजी अस्पतालों ने मरीजों को बेशर्मी से लूटा। सरकार से तय दरों और मानकों के बावजूद मनमानी वसूली हुई। ऑक्सीजन-दवाएं, जांच, डॉक्टर विजिट, खाने के नाम पर डेढ़ से दो लाख तक अतिरिक्त लिए गए। हैरानी की बात है कि रुई, ग्लब्स एवं सेनेटाइजर के नाम पर हजारों रुपये मरीजों के बिल में जोड़ गए। सामान्य वार्ड में भर्ती मरीजों को आईसीयू में भर्ती दिखाकर मनमानी की गई। पीड़ित लोगों की शिकायतों के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों पर रिकवरी की कार्रवाई की है। मरीजों को रुपये लौटाए जा रहे हैं।

बिल में 20% छूट भी नहीं दी
जिले में 37 सरकारी और निजी अस्पतालों में कोरोना इलाज की व्यवस्था है। इनमें करीब 25 निजी अस्पताल हैं। अब तक 15 अस्पतालों में भर्ती रहे 290 मरीजों के एक करोड़ 36 लाख रुपये लौटाए गए हैं। अभी 60 शिकायतों की जांच जारी है। जिन अस्पतालों को कोरोना इलाज की अनुमति थी, उनमें एक्का-दुक्का को छोड़ बाकी अस्पतालों में मनमानी की शिकायत मिली। कई अस्पतालों ने दो-दो तरह के बिल बनाए। एक तय मानकों के अनुसार बनाया और दूसरा बिल अतिरिक्त सुविधाओं के नाम पर। जबकि सुविधाएं पैकेज में थीं। सरकार के आदेश पर 20% छूट देनी थी, मगर ऐसा भी नहीं किया।

सुविधाओं के नाम पर मनमानी 
पैकेज प्रतिदिन के हिसाब से तय किया गया था। कम गंभीर में ऑक्सीजन, गंभीर एवं अति गंभीर में आईसीयू एवं वेंटीलेटर सुविधा शामिल है। इलाज पैकेज में बिस्तर, भोजन, निगरानी, नर्सिंग सुविधा, डॉक्टरों के विजिट, इमेजिंग समेत अन्य जांचें, दवाएं, ब्लड चढ़ाना आदि सुविधाएं शामिल थीं। केवल फेवीपायराविर, रेमडेसिविर, टोसिलिजुमेब आदि इंजेक्शन या दवाओं के अतिरिक्त रुपये ले सकते थे, लेकिन जांच में सामने आया कि सुविधाओं के नाम पर लूट मचाई गई। 

आयुष्मान मरीजों को भी नहीं बख्शा
कई अस्पतालों की जांच में सामने आया कि उन्होंने आयुष्मान योजना मरीजों से भी मनामनी रकम वसूली। कई को आयुष्मान में इलाज से ही मनाकर दिया तो कई से कार्ड जमा करने के बाद भी अतिरिक्त रुपये लिए गए। सीएमओ दफ्तर से हरिद्वार रोड के एक अस्पताल से करीब 21 लाख रुपये मरीजों को वापस कराए गए हैं। 

अनैतिक काम की इजाजत नहीं: आईएमए 
आईएमए के जिलाध्यक्ष डॉ. अमित सिंह ने कहा कि मरीजों, डाक्टरों, मेडिकल स्टाफ की भलाई के लिए आईएमए बना है। अनैतिक कार्यों की आईएमए कतई इजाजत नहीं देता। महामारी में इस तरह से अतिरिक्त रुपये मरीज से लेना गलत है। ऐसे अस्पतालों से वसूली के साथ कार्रवाई होनी चाहिए। विभागीय कार्रवाई में आईएमए सहयोग कर रहा है। कई फर्जी अस्पतालों के बारे में बताया गया है। सीएमओ-एसीएमओ से इस संबंध में मीटिंग भी की थी। 

जांच टीम को दुआएं दे रहे
सीएमओ स्तर पर एसीएमओ डॉ. संजीव दत्त, डीटीओ डॉ. सुधीर पांडेय की अगुवाई में एक जांच टीम बनाई गई है, जो शिकायतों पर जांच कर लोगों को अस्पतालों से रुपये वापस दिला रही है। सोमवार को कई लोग शिकायत लेकर पहुंचे। इस दौरान दो अस्पतालों के कर्मचारी मरीजों को लौटाने वाली राशि का चेक लेकर पहुंचे। मरीजों के तीमारदार अफसरों को दुआएं और धन्यवाद देते दिखे। 

जो शिकायतें आ रही हैं, उनसे और अस्पतालों से बिल लेकर मिलान किया जा रहा है। अतिरिक्त लिए गए रुपये वापस कराए जा रहे हैं। जो आनाकानी कर रहे हैं, उनके खिलाफ आपदा ऐक्ट में कार्रवाई की जाएगी। लोगों से अपील है कि तय दरों से ज्यादा लेने वाले अस्पतालों की सीएमओ कार्यालय में शिकायत करें।