नयी दिल्ली: देशभर के 24 हाईकोर्ट में करीब 40.54 लाख मामले विचाराधीन हैं और ये अदालतें करीब 44 प्रतिशत जजों की कमी से जूझ रही हैं। यह स्थिति ऐसे समय है जब न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच उच्चतर न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति पर टकराव की स्थिति
ये आश्चर्यजनक आंकड़े सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी इंडियन ज्यूडिशरी एनुअल रिपोर्ट 2015-2016 में सामने आए। पिछले वर्ष 30 जून को एकत्रित आंकड़ों के अनुसार हाईकोर्ट में जजों के कुल मंजूर पद 1079 हैं जिसमें केवल 608 पर नियुक्ति है। डेटा में कहा गया है कि यह कमी हाईकोर्ट के जजों के कुल मंजूर पदों का 43.65 प्रतिशत है।
पिछले वर्ष 30 जून तक सभी हाईकोर्ट में लंबित कुल 40.54 लाख मामलों में से 29 लाख 31 हजार 352 मामले दीवानी और 11 लाख 23 हजार 178 मामले फौजदारी हैं तथा सात लाख 43 हजार 191 मामले एक दशक से अधिक समय से लंबित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति नहीं करके न्यायपालिका में अवरोध पैदा नहीं कर सकती जबकि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कल कहा कि सरकार ने अब तक 126 जजों की नियुक्ति की है जो 1990 से अबतक सबसे ज्यादा है तथा हाईकोर्ट में करीब 131 अतिरिक्त जजों की सेवाओं की पुष्टि हुई है।
हाईकोर्ट में सबसे खराब स्थिति इलाहाबाद हाईकोर्ट की है जो जजों के मंजूर पदों से आधे से भी कम में काम कर रहा है जिससे 9.24 लाख मामले लंबित हैं। इसमें से तीन लाख नौ हजार 634 मामले दस वर्ष से अधिक पुराने हैं। 298 पेज की रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, इस हाईकोर्ट में केवल 78 जज हैं जबकि मंजूर पदों की संख्या 160 है।