कानपुर में बुखार और डेंगू जमकर कहर बरपा रहा है। इसकी चपेट में आकर पांच लोगों की मौत हो गई, इनमें तीन युवक हैलट इमरजेंसी में भर्ती थे। इन्हें सांस की ऊपरी नलियों में संक्रमण के साथ जबर्दस्त निमोनिया था। डॉक्टरों ने एक की मौत की वजह एक्यूट रेस्पाइरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) बताई है, जो आमतौर पर कोरोना संक्रमितों में देखने को मिल रही थी। दूसरी तरफ बच्चों पर बुखार का कहर टूट पड़ा है। शहर के 375 पंजीकृत अस्पतालों और नर्सिंगहोमों में बुखार से पीड़ित करीब 1200 बच्चे भर्ती हैं।
महाराजपुर निवासी 25 वर्षीय जय सिंह को ब्रेन में सूजन और बुखार से शॉक मौत की वजह बताई गई। चमनगंज निवासी 65 वर्षीय अंजनी श्रीवास्तव को निमोनिया था, जबकि 38 वर्षीय शंकर लाल की मौत एआरडीएस से हुई है यानी दोनों फेफड़ों में निमोनिया था। कल्याणपुर के कुरसौली गांव निवासी 38 वर्षीय लक्ष्मी प्रजापति की बुखार की चपेट में आने के बाद सांसें थम गईं। बिल्हौर के अनूपपुरवा में डेंगू के बाद प्राइवेट अस्पताल में भर्ती नेहा का कई दिनों से इलाज चल रहा था, बुधवार को उसने भी दम तोड़ दिया।
कोविड की जांच निगेटिव आ रही
24 घंटे के भीतर पांच मौतों से स्वास्थ्य महकमा भी हलकान है। डॉक्टरों का कहना है कि बुखार वाले मरीजों में कोविड जांच निगेटिव मिल रही है। फ्लू का वायरस काफी जटिल है। हैलट के प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या का कहना है कि वायरल फीवर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 200 से अधिक बेड फुल हो चुके हैं। हालात भयावह हैं और ऐसे में बेड और बढ़ाने की तैयारी चल रही है। कोशिश है कि अति गंभीर रोगियों के वार्ड अलग किए जाएं।