भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में 30 सितंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए कमर कस ली है। खासकर भवानीपुर सीट पर तो पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की खासी दिलचस्पी है। दरअसल, अगर ममता इस सीट से उपचुनाव हार जाती हैं, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ेगा। ऐसे में भाजपा ने यह मौका भुनाने के लिए पार्टी नेता प्रियंका टिबरीवाल को ममता के खिलाफ मौका दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रियंका अब तक खुद जिन दो चुनावों में खड़ी हुई हैं, उनमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में भाजपा के उन्हें ममता के खिलाफ लड़ाने के फैसले पर सवाल भी उठ रहे हैं।
कौन हैं प्रियंका टिबरीवाल?
टिबरीवाल का जन्म सात जुलाई 1981 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वेलैंड गॉल्डस्मिथ स्कूल से पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद, उन्होंने 2007 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के अधीनस्थ हाजरा लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की। उन्होंने थाईलैंड अनुमान विश्वविद्यालय से एमबीए भी किया है।
बाबुल सुप्रियो की करीबी, दो बार देख चुकी हैं हार का मुंह
प्रियंका टिबरीवाल भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो की कानूनी सलाहकार रह चुकी हैं, सुप्रियो की सलाह के बाद ही वह अगस्त 2014 में भाजपा में शामिल हुई थीं। 2015 में उन्होंने भाजपा उम्मीदवार के रूप में वार्ड संख्या 58 (एंटली) से कोलकाता नगर परिषद का चुनाव लड़ा, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के स्वपन समदार से हार गई थीं।
भाजपा में अपने छह साल के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्यों को संभाला और अगस्त 2020 में, उन्हें पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) का उपाध्यक्ष बनाया गया। इस साल उन्होंने एंटली से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन टीएमसी के स्वर्ण कमल साहा से 58,257 मतों के अंतर से हार गईं।
अपनी उम्मीदवारी पर क्या बोलीं टिबरीवाल?
हाल ही में एक निजी चैनल से बात करते हुए, टिबरीवाल ने कहा कि ‘पार्टी ने मुझसे सलाह ली है और मेरी राय पूछी है कि मैं भवानीपुर से चुनाव लड़ना चाहती हूं या नहीं। कई नाम हैं और मुझे अभी पता नहीं है कि उम्मीदवार कौन होगा। इतने सालों में मेरा साथ देने के लिए मैं अपने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को धन्यवाद देना चाहती हूं।
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