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सावधान: बच्चों के लिए खतरनाक है डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन, दिमाग में सूजन, फेफड़ों में भर रहा पानी

डेंगू का स्ट्रेन-2 दिमाग, फेफड़ों और लिवर पर चोट कर रहा है। खासकर बच्चों के लिए यह खतरा बना हुआ है। यही वजह है कि अब तक मरीजों में बच्चों की संख्या 80 फीसदी से अधिक है। ऐसे में चिकित्सक बच्चों को मच्छरों से बचाने और पौष्टिक आहार देने की सलाह दे रहे हैं।  

बाल रोग विभाग के डॉ. नीरज यादव ने बताया कि डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन बच्चों पर ज्यादा प्रभावी है। डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन खतरनाक है और बच्चों के लिवर, फेफड़े और दिमाग को प्रभावित कर रहा है। एसएन के बाल रोग के डेंगू वार्ड में करीब 36 बच्चे भर्ती हुए। इनमें फिरोजाबाद के बच्चे सबसे ज्यादा है। हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने डेंगू के डेन-दो स्ट्रेन की पुष्टि की है। इस स्ट्रेन के चलते ही करीब 14 बच्चों के लिवर और दिमाग में सूजन मिली। उल्टी के साथ फेफड़े और पेट में पानी भरा मिला। तेज बुखार से बच्चे शॉक में भी चले गए। इलाज से इनकी हालत में लगातार ठीक हुई और डिस्चार्ज भी हो रहे हैं।

  
आगरा में 19 में से 11 बच्चों में मिला डेंगू
सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि आगरा में अभी तक डेंगू के मिले 19 मरीजों में 11 बच्चे हैं। इनकी उम्र 3.5 साल से 15 साल है। यह निजी और सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं। इनमें बुखार के साथ उल्टी और लिवर में सूजन की दिक्कत भी मिली है। राहत की बात है कि इलाज के बाद यह ठीक हो रहे हैं। 
यह स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक
एसएन मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर गोयल ने बताया कि डेंगू से पहले किसी अन्य स्ट्रेन से पीड़ित हुआ है और दूसरी बार में स्ट्रेन कोई दूसरा है तो यह खतरनाक बन जाता है। हाल में जो बच्चों में यह डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन मिला है, उनमें से अधिकांश पहले भी डेंगू की चपेट में आए हैं। 

दिमाग में होने लगता है रक्तस्राव
एसएन के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. विकास गुप्ता ने बताया कि डेंगू के चार सीरोटाइप होते हैं, जिसे डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4 बोले जाते हैं। इसमें डेन-2 अन्य से ज्यादा खतरनाक है। इसमें मरीज के दिमाग में ब्लीडिंग होने लगती है। इससे मरीज की मौत हो जाती है। फिरोजाबाद और आगरा में आईसीएमआर ने इस स्ट्रेन की पुष्टि की है। 

बरतें सावधानी

  • मच्छर से हरहाल में बचें, घर में साफ-सफाई बरतें।
  • पानी को ढककर रखें। कूलर की टंकी खाली कर दें।
  • जलभराव होने पर उसमें मिट्टी का तेल छिड़क दें। 
  • बच्चों को नारियल पानी, छाछ, जूस खूब पिलाएं।