Navratri 2021: शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि, 12 अक्टूबर को देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा- आराधना होगी। माता के इस स्वरूप की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलने के साथ व्यक्ति के शत्रुओं का नाश भी हो जाता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि मां कालरात्रि का स्मरण करने मात्र से ही नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है। इस दिन से ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियों सिद्धियों का द्वार खुला होता है। जो साधक विधिपूर्वक माता की उपासना करता है उसे यह सिद्धियां प्राप्त होती है।
माता के इस स्वरूप में घने अंधकार के समान काला रंग होने के कारण इन्हें कालरात्रि कहा गया। मां कालरात्रि काल और दुखों का अंत करने वाली हैं। मां कालरात्रि के तीन नेत्र है और तीनों ही गोल है। इनका रूप अत्यंत भयानक है एवं बाल बिखरे हुए हैं। माता काली को गुड़हल का पुष्प अर्पित करना चाहिए। जिन्हें मृत्यु या कोई अन्य भय सताता हो, उन्हें अपनी या अपने सम्बन्धी की लंबी आयु के लिए मां कालरात्रि की पूजा लाल सिन्दूर व ग्यारह कौड़ियों से सुबह प्रथम पहर में करनी चाहिए। मां कालरात्रि की इस विशेष पूजा से जीवन से जुड़े समस्त भय दूर हो जाएंगे।
कलश पूजन करने के उपरांत माता के समक्ष दीपक जलाकर रोली, अक्षत से तिलक कर पूजन करना चाहिए और मां काली का ध्यान कर वंदना श्लोक का उच्चारण करना चाहिए| तत्पश्चात मां का स्त्रोत पाठ करना चाहिए। पाठ समापन के पश्चात माता जो गुड़ का भोग लगा लगाना चाहिए। तथा ब्राह्मण को गुड़ दान करना चाहिए।