दिल्ली-एनसीआर पर छा रहे प्रदूषण के पर्दे को शनिवार हवाओं के रुख ने संभाल लिया। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के ज्यादा मामले दर्ज होने के बावजूद दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का हिस्सा बीते 24 घंटे में कम हुआ है। इसका नतीजा यह रहा कि इस बीच 15 अंकों की कमी के साथ औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 268 दर्ज हुआ है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु मानक संस्था सफर इंडिया के परियोजना निदेशक डॉ. गुफरान बेग के मुताबिक, हवा की दिशा उत्तर, उत्तर-पश्चिम से बदलकर शनिवार को उत्तर-पश्चिम हो गई है। इस वजह से इस सीजन में सबसे अधिक 1826 पराली जलाने की घटनाओं के बावजूद प्रदूषण में इसके हिस्सेदारी 12 फीसदी ही रही है।
सफर के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को 1112 पराली जलने के साथ इसकी हिस्सेदारी 20 फीसदी दर्ज की गई थी। जबकि, बृहस्पतिवार को पराली जलने की घटनाएं 502 रही थी, जिसकी प्रदूषण में 19 फीसदी हिस्सेदारी रही थी। वहीं, शनिवार को इस सीजन 1826 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन उत्तर उत्तर पश्चिम से हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम की ओर हो गई है। वहीं, इसकी रफ्तार भी धीमी पड़ गई है। इस वजह से पराली का धुआं पूरी तरह दिल्ली में नहीं पहुंचा है और इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 12 फीसदी दर्ज की गई है।
गुफरान बेग के अनुसार, पराली के धुएं से होने वाले प्रदूषण के लिए हवा की रफ्तार व दिशा दोनों ही अनुकूल होने चाहिए। यदि इन दोनों कारकों में से किसी एक भी कारक में अंतर होता है तो इसका असर प्रदूषण के उतार-चढ़ाव पर पड़ता है। उनका पूर्वानुमान है कि अगले 24 घंटे में हवा की दिशा दक्षिण-पूर्वी की ओर हो जाएगी। इससे प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सा और भी कम होगा। बीते 24 घंटे में हवा में पीएम 10 का स्तर 247 व पीएम 2.5 का स्तर 113 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।
उधर, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) के मुताबिक, शनिवार को फरीदाबाद का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 268, गाजियाबाद का 297, ग्रेटर नोएडा का 273, गुरुग्राम का 272 व नोएडा का 260 एक्यूआई दर्ज किया गया।
उत्तर, उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम दिशा का इस तरह पड़ता है प्रभाव
जब हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम की ओर होती है तो दिल्ली पहुंचने वाली हवाएं दोनों दिशाओं के बीच 45 डिग्री का कोण बनाती हैं। जबकि जब हवा उत्तर, उत्तर-पश्चिम की ओर होती है तो हवा की दिशा उत्तर की तरफ झुक जाती है। यह झुकाव 45 डिग्री कोण से आने वाली हवाओं का रूख उत्तर दिशा की ओर करीब 30 फीसदी हो जाता है। इससे पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली का धुआं शामिल हो जाता है। नतीजतन, हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है और दिल्ली की हवा अधिक प्रदूषित दर्ज की जाती है।