इलाहाबाद से भाजपा सांसद डॉ.रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी शनिवार को साइकिल पर सवार हो गए। उन्होंने आजमगढ़ में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा की सदस्यता ली। वहीं डॉ.रीता ने स्पष्ट किया है कि वह भाजपा में ही हैं और राष्ट्रीय नेतृत्व पर आस्था एवं पूर्ण विश्वास है। आखिरी चरण के मतदान से दो दिन पहले मयंक के सपा में शामिल होने से भाजपा को झटका लगने की बात कही जा रही है।
मयंक लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से भाजपा से टिकट मांग रहे थे। डॉ.रीता जोशी ने मयंक को टिकट दिए जाने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखा था। रीता आगे अब कोई चुनाव नहीं लड़ने का घोषणा पहले ही कर चुकी हैं। बेटे को टिकट दिए जाने के लिए उन्होंने सांसदी से इस्तीफा देने का भी प्रस्ताव रखा था। ताकि, एक ही परिवार के दो लोगों को टिकट नहीं दिए जाने की भाजपा की नीति बेटे की राह में बाधा न बनने पाए। इसके बावजूद पार्टी ने मयंक को टिकट नहीं दिया।
इसके बाद से ही मयंक की नाराजगी की बात कही जा रही थी। डॉ.रीता जोशी इसका लगातार विरोध करती रहीं लेकिन कुछ दिनाें पहले अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद मयंक के सपा में जाने की अटकलें और तेज हो गईं। अब शनिवार को सपा में शामिल होकर मयंक ने सभी अटकलाें एवं चर्चाओं पर विराम लगा दिया है।
आखिरी चरण में पाला बदलने से भाजपा को झटका
पूरे चुनाव के दौरान चर्चा रही कि ब्राह्मण मतदाताओं का एक वर्ग भाजपा से नाराज है। ऐसे में आखिरी चरण के मतदान से दो दिन पहले मयंक के सपा में जाने से भाजपा को बड़ा झटका लगा है। वहीं डॉ.रीता जोशी का कहना है कि वह अब भी भाजपा में हैं।
रीता के प्रतिनिधि अभिषेक शुक्ला ने बताया कि इस समय वह त्रिपुरा में हैं। वहां रीता को मयंक के सपा में शामिल होने की सूचना मिली। इसके बाद उन्होंने स्पष्टीकरण जारी कर भाजपा एवं नेतृत्व के प्रति पूरी आस्था जताई। इसके अतिरिक्त उन्होंने किसी तरह की टिप्पणी से इंकार कर दिया।
रीता को राज्यपाल बनाए जाने की उम्मीदों को झटका
डॉ.रीता बहुगुणा जोशी पहले ही घोषणा का चुकी हैं कि अब वह कोई चुनाव नहीं लडे़ंगी। इस घोषणा के बाद से ही चर्चा शुरू हो गई है कि उन्हें राज्यपाल बनाया जा सकता है। पार्टी सूत्र के अनुसार उन्होंने इसके लिए प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। हालांकि, अब मयंक के सपा में चले जाने से उनके प्रयासों को झटका लगने की बात कही जा रही है।
सपा ने चुना सही समय, दिया बड़ा संदेश
मयंक जोशी के सपा में शामिल होने के समय को लेकर भी काफी चर्चा है। इसे सपा की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। बाह्मण मतदाताओं का एक वर्ग भाजपा से नाराज बताया जा रहा है। ऐसे में सपा शुरू से ब्राह्मण मतदाताओं को साधने की कोशिश में जुटी है।
इसी क्रम में चौथे चरण के मतदान से पहले अखिलेश यादव ने मयंक से मुलाकात की और अब आखिरी चरण के मतदान से दो दिन पहले उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया। माना जा रहा है कि सपा इन तारीखों को चुना ताकि, डॉ.रीता जोशी के बेटे की भाजपा से नाराजगी को अधिक से अधिक भुनाया जा सके।