Friday , May 30 2025

दूल्हा बने बाबा विश्वनाथ, डमरू-शहनाई की धुन पर चढ़ा तिलक

रेशमी पगड़ी-खादी का कुर्ता पहनकर चांदी के सिंहासन पर विराजे

वाराणसी : शिव की नगरी काशी में हर्षोल्लास का माहौल है। काशी विश्वनाथ दूल्हा बने और उनका तिलक हुआ। गुरुवार को तिरंगा श्रृंगार के बाद मथुरा से लाए गए खादी के वस्त्र काशी विश्वनाथ को पहनाए गए। मंगल गीत, डमरू और शहनाई की गूंज के बीच चांदी के सिंहासन में बैठाकर उनका तिलक चढ़ाया गया।इसके साथ ही वाराणसी में शिव बारात की तैयारियां होने लगीं हैं। अब से 20 दिन बाद महाशिवरात्रि होगी। उस दिन शिव विवाह और भव्य-अनोखी बारात निकलेगी। वहीं, उसके 7 दिन बाद रंगभरी एकादशी पर बाबा का गौना होगा। इसके बाद माता पार्वती और महादेव का एकाकार हो जाएगा।

विश्वनाथ गली स्थित पूर्व महंत के आवास पर, बसंत पंचमी की रात चांदी के सिंहासन पर महादेव को तिलक चढ़ाया गया। सुबह से शाम तक मंगला आरती, दुग्धाभिषेक और विधि-विधान से पूजन के बाद शिव को राजसी में सजाया गया। लंबे-लंबे केश पर रेशम की बादशाही पगड़ी और खादी का कुर्ता पहनाया गया। बाबा को दूल्हा बनकर तैयार हो गए। कन्या पक्ष यानी कि मां गौरा के पिता दक्ष प्रजापति और उनके साथ आए 50 तिलकहरूओं का महंत आवास पर भव्य स्वागत किया गया। आवास पर पहुंचे मेहमानों ने, तो पहले महादेव को एक टक निहारा। इसके बाद उनके पंचबदन रजत प्रतिमा के चरणों में अपने पहूना बाबा विश्वनाथ पर फल-फूल और मेवे का भोग लगाते हुए तिलक किया। इतने में पूरा परिसर डमरू की निनाद और शहनाई के मंगलधुनों से गूंज उठता है। महिलाएं शादी के गीत गाती हैं। वहीं, कजरी और बाबा के भजनों का दौर शुरू हो जाता है।