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Budget 2023 : इंफ्रास्ट्रक्चर सहित बढ़े आयकर का दायरा, कम हो जीएसटी

बजट के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, लोगों में चर्चा के साथ बजट से उम्मीदें भी जगने लगी हैं। हालांकि अगले चुनाव से पहले ये मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। इसी के चलते आम जनता को भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से काफी खासी उम्मीदें हैं….

-सुरेश गांधी

वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह इंफ्रास्ट्रक्चर सहित न सिर्फ आयकर का दायरा बढ़ाएं, बल्कि जीएसटी दर को कम कर आम जनमानस को महंगाई से राहत दिलाएं। मतलब साफ है सरकार शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र में भी विकास करें। इससे गांवों में पलायन रुकेगा तो शहरों में आकर रोजगार भी मिलेगा। इसके अलावा हेल्थ सेक्टर से लेकर पर्यटन व होटल-रेस्टोरेंट सहित रोजमर्रा के जरुरतों के सामनों से जीएसटी दर को कम कर सरकार महंगाई को काबू में ला सकती है। इसके अलावा सरकार धार्मिक स्थल के लिए नीति बनाएं। इसके तहत सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों का नियमन कर संचालन की जिम्मेदारी एक 30 सदस्य मंडल को सौंपे, इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। नए निवेश प्रस्ताव का निस्तारण 1 माह के अंदर सुनिश्चित हो। निजी औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए भी सरकार नीति बनाएं। वेयरहाउस, लॉजिस्टिक और सर्विस सेक्टर को उद्योग का दर्जा मिलना चाहिए। औद्योगिक क्षेत्रों को 2010 के प्रावधानों के तहत ड्यूटी टैक्स से छूट मिलनी चाहिए। बेरोजगारी दूर करने के लिए उद्यम पथ योजना लागू की जाएं। मनरेगा योजना को उद्योगों से जोड़ा जाएं ताकि उद्योगों को श्रमिक और श्रमिकों को रोजगार की समस्या का सामना नहीं करना पड़े

फिरहाल, मोदी सरकार के क्रियाकलापों व मंशा से साफ है कि बजट में बड़े ऐलान होने की संभावनाएं कम है। लेकिन बजट में बड़े लोकलुभावन ऐलान के संकेत जरुर मिलने लगे है। यह अलग बात है कि मिडिल क्लास की चिंताओं को दूर करने के उपायों की घोषणा सरकार कर सकती है। बजट में 20 फीसदी की मौजूदा दर के मुकाबले 10 से 15 फीसदी की दर के साथ 8 से 10 लाख रुपए पर एक नया टैक्स स्लैब पेश करने की उम्मीद है। 30 फीसदी की वर्तमान इनकम टैक्स दर को भी घटाकर 25 फीसदी किया जा सकता है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का विस्तार हो सकता है। इसमें मध्यवर्ग और सीनियर सिटिजन्स को भी शामिल किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि इस योजना के विस्तार का प्रस्ताव नेशनल हेल्थ अथॉरिटी की तरफ से रखा गया है। इसमें उन लोगों को भी रखा जाएगा, जिनके पास कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है। बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस बनाएं रखना बेहद जरुरी है। इंफ्रा पर सरकार के फोकस के चलते कंस्ट्रक्शन मटेरियल और इक्विपमेंट के डिमांड में बढ़त देखने को मिली है।

वित्त मंत्रालय विभिन्न सरकारी विभागों की तरफ से भेजे गए ऐसे प्रस्तावों पर विचार कर रहा है, जिनसे मध्यम वर्ग के बड़े भाग को लाभ पहुंचे। इसकी घोषणा बजट में की जा सकती है। सरकार ने अभी तक आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से अधिक नहीं की है, जिसे 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उस सरकार का पहला बजट पेश करते हुए तय की थी। इस बार बजट में वेतनभोगिरयों को भी राहत मिल सकती है। दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मोदी सरकार का यह आखिरी केंद्रीय बजट है। ऐसे में इसमें टैक्सपेयर्स और वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आ सकता है। पिछले कुछ बजट में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं करने की घोषणा के बाद सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव का कर सकती है।

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के पूर्व सीइओ मेम्बर उमेश कुमार गुप्ता मुन्ना का कहना है कि सरकार से इंपोर्ट ड्यूटी में कमी की उम्मीद है। सरकार प्राइवेट जेट पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को शून्य देती है तो इक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा। जेट पर लगने वाले 28 फीसदी को कम करके 12 फीसदी तक लाने की उम्मीद की गई है। मौजूदा समय में मध्यम वर्ग के टैक्सपेयर्स को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें सबसे बड़ी समस्या महंगाई की है। महंगाई से लड़ने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा बैक-टू-बैक रेपो दर में बढ़ोतरी ने होम लोन और अन्य लोन के लिए मंथली ईएमआई में बढ़ोतरी कर दी है। ईंधन की ऊंची कीमतों ने घरेलू बजट को प्रभावित किया है। लोगों के मुताबिक, करदाताओं के सामने आने वाली इन कठिनाइयों को देखते हुए अब समय आ गया है कि कुछ राहत देने के लिए इनकम टैक्स स्लैब रेट्स में बदलाव किया जाए।

वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा का कहना है कि सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए सरकार शहरों के आसपास के गांवों को जोड़ें, इससे गांव में पलायन और शहरों में आकार रोजगार भी मिलेगा। हर घर पानी पहुंचाने के लिए सरकार ज्यादा बजट दें ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से लोगों को पानी मिल सके। लोगों की बिजली, सड़क और पानी मूलभूत जरूरत है। बजट के दौरान लोगों को इसकी उम्मीद भी रहती है। कहने का अभिप्राय यह है कि है सरकार बजट में वही प्राविधान करें जो जन कल्याणकारी हो और लोगों को लाभ पहुंचाने वाला हो। क्योंकि शहर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का पहिया घूमे बगैर राज्य का समग्र विकास संभव नहीं है। बढ़ते शहरों के बीच पार्किंग सबसे बड़ी जरूरत बन गई है। फोरलेन व छहलेन की सड़क पर एक-दो लाइन ही वाहनों के चलने के लिए बची है। बाकी का उपयोग पार्किंग में हो रहा है। ऐसे में मल्टी लेवल पार्किंग को बढ़ावा देने की जरूरत है। साथ ही पैदल चलने वालों को सुरक्षित रास्ता भी मुहैया करवाना होगा। इसके लिए अतिक्रमण हटाने होंगे। सोलर में निवेश हो और इससे जुड़ी इंडस्ट्री आएं। इसके लिए सरकार को सकारात्मक माहौल बनाना होगा। अब डिमांड बेस्ट प्लान बनाने की जरूरत है। शहर के पास से अधिकतर बड़े राजमार्ग गुजरते हैं इस वजह से नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं। इस बजट में बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों को ज्यादा अवसर देने की जरूरत है। आईटी भविष्य की जरूरत है। आईटी के क्षेत्र में नाम बन सकता है बनारस का। लेकिन इस पर अभी से काम करने की जरूरत है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए हमें नए कोर्स शुरू करने होंगे। यह कोर्स युवाओं को आकर्षित करेंगे, तभी एडमिशन होंगे।

सरकारें शहरों पर ज्यादा खर्च करती है। जबकि ग्रामीण विकास भी बहुत जरूरी है। यदि ग्रामीण विकास होगा तो पलायन रुकेगा। सरकार को ऐसी स्कीम लानी होगी जिससे ग्रामीणों को आसपास ही रोजगार के अवसर मिल सके। कचरे का निस्तारण जरूरी है। इसमें संभावनाओं की भी कमी नहीं है। इसको समझने के लिए सरकार इंस्टिट्यूट खोलें ताकि युवा पीढ़ी इसमें कैरियर बना सके। बड़े शहरों में जो कचरे के पास खड़े हो रहे हैं, उनको हटाना बहुत जरूरी है। मिसिंग लिंक और सेक्टर रोड के निर्माण की जरूरत है। बग्गा ने कहा कि काशी में तेजी से काम हो रहा है। कई चैराहें ट्रैफिक लाइट मुक्त किए जा रहे। इसकी संख्या और बढ़ाने की जरूरत है। बजट में सरकार को पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर और भी ध्यान देना चाहिए। भूजल रिचार्ज के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे साथ ही पाइपलाइन वितरण प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है ताकि लोगों को सही तरह से पानी मिलता रहे। पेयजल की दरों को संशोधित करने की जरूरत है। सड़कों को सुरक्षित बनाने पर काम करना होगा। इसके अलावा मोटरसाइकिल के लिए पॉलिसी भी बनाई जाएं। वाहन चालकों को ट्रेनिंग के लिए इंस्टिट्यूट की संख्या बढ़ाई जाए। सैलानियों की संख्या में बढ़ोतरी हो इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन में कचरा निस्तारण के लिए कई जिले जोड़ने की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि मूलभूत सुविधाएं विकसित करें। ट्रैफिक लाइट चैराहों पर अन्य शहरों में भी काम हो। इससे प्रदूषण तो कम होगा ही ईंधन की खपत भी कम होगी।

शेयर निवेश में दिलचस्पी बढ़ाने हो उपाय

कई लोग शेयर बाजार में निवेश को जुए की तरह देखते हैं। इसकी वजह जागरूकता का अभाव है। लोगों के शेयर बाजारों में निवेश के फायदों के बारे में बताना जरूरी है। इससे लोगों को अपनी बचत पर ज्यादा रिटर्न मिल सकेगा। साथ ही शेयर बाजार में निवेश में विदेशी निवेशकों पर हमारी निर्भरता घटेगी। हमें वास्तव में खपत की मांग पर ध्यान देने की जरूरत है। निवेश आधारित विकास को आगे बढ़ाना होगा। रोजगार से जुड़ी इंसेंटिव स्कीम पर गौर करने की जरूरत है। सरकार शहरी रोजगार गारंटी योजना बनाने पर ध्यान दें। इसके अलावा कैपेक्स के लिए अलोकेशन को 35 फीसदी तक बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। इस बार के आम बजट में वेतनभोगी वर्ग को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। पिछले कुछ बजट में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं करने की घोषणा के बाद सरकार इस बार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव कर सकती है।

इनकम टैक्स स्लैब में हो सकता है बदलाव

मोदी सरकार नई टैक्स व्यवस्था को और आकर्षक बनाने पर काम कर रही है। वित्त मंत्रालय इस बार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करने की योजना बना रहा है। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय टैक्स योग्य आयकर छूट की मौजूदा सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ा सकता है। वेतनभोगी वर्ग के बीच आयकर के बोझ को कम करने की मांग काफी समय से की जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा इन नियमों में किसी बड़े सुधार की घोषणा नहीं की गई है। एक वैकल्पिक आयकर की घोषणा जरूर की गई थी, लेकिन यह राहत देने के मामले में काफी हद तक उल्टा साबित हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि वेतनभोगी मध्यम वर्ग के करदाताओं को राहत देने के लिए वित्त मंत्री बजट में आयकर छूट की सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती हैं।

निवेश पर मिले ज्यादा टैक्स छूट

वेतनभोगी वर्ग के लिए धारा 80सी टैक्स बचाने का सबसे अहम सेक्शन होता है। इस सेक्शन के तहत छूट की सीमा बढ़ाने का मतलब है कि अधिक से अधिक लोगों को राहत मिलना है। अभी धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट 1.5 लाख रुपये है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि बजट 2023 में धारा 80सी के तहत सरकार डिडक्शन लिमिट बढ़ाकर 200,000 रुपये सालाना कर सकती है। ऐसा होने पर वेतनभोगी वर्ग को काफी राहत मिल सकती है। वहीं इनकम टैक्स की धारा 16 (आइए) के तहत वतनभोगी कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट 50 हजार रुपये सालाना है। आगामी बजट से उम्मीद है कि बढ़ रही महंगाई के कारण सरकार धारा 16 (आईए) के प्रावधान में बदलाव करेगी और स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट का दायरा बढ़ाकर सालाना 75 हजार रुपये कर देगी। इसके अलावा इनकम टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर ₹600000 तक कर सकती है, जो अभी ₹500000 तक है। अभी आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख स्टैंडर्ड डिडक्शन ₹50000 व सेक्शन 80सी में सालाना एक 1.50 तक के निवेश पर टैक्स में छूट मिलती है। सूत्रों ने कहा कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए भुगतान पर भी विचार किया जा रहा है। सरकार निवेशकों को लाभ पहुंचाने के लिए पूंजीगत लाभ कर नियमों को भी आसान कर सकती है।

जीएसटी का कम हो बोझ

हेल्थ सेक्टर से लेकर रोजमर्रा की जरुरतों पर जीएसटी का दायरा बढ़ने से आमजनमानस त्राहि-त्राहि कर रहा है। ऐसे में मरीजों को आम बजट से काफी उम्मीदें तो है ही आम नता भी जीएसटी दर में कमी करने की मांग कर रहा है। मेडिकल उपकरणों पर आयात शुल्क हटाने की मांग अरसे से की जा रही है। क्योंकि अस्पताल के कमरे से लेकर सर्जरी में इस्तेमाल वाले मेडिकल उपकरण तक पर जीएसटी लगने से देश में इलाज महंगा है। यही वजह है कि चिकित्सा सेवा क्षेत्र पर लागू भारी जीएसटी से मरीजों को राहत की दरकार है। ताकि इलाज सस्ता हो सके। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि नए स्लैब के प्रति आयकर दाताओं को आकर्षित करने के लिए सरकार बजट में बदलाव कर सकती है।

इंफ्रास्ट्रक्चर

सरकार आने वाले वर्षों में उच्च जीडीपी विकास सुनिश्चित करने के लिए कैपेक्स, बुनियादी ढांचे के निर्माण और आयात प्रतिस्थापन का समर्थन करेगी. दुनिया ने ऊर्जा सुरक्षा के महत्व और सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में कम ऊर्जा लागत को देखा है. इसके साथ ही डिस्ट्रीब्यूशन, जेनरेशन, इक्विपमेंट और ईपीसी से जुड़ी सेवाएं देने वाली कंपनियों को फायदा हो सकता है. इंफ्रास्ट्रक्चर को भी सरकार के जरिए बढ़ावा मिल सकता है. ईपीसी, सीमेंट, स्टील सहित इंफ्रास्ट्रक्चर और इससे संबंधित क्षेत्रों को सरकार के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर जोर देने पर विचार करने से लाभ होगा. विनिर्माण (पीएलआई) से संबंधित क्षेत्र विशेष रूप से कपड़ा, फार्मा, ऑटोमोबाइल और केमिकल सेक्टर को सरकार के जरिए बढ़ावा दिया जा सकता है.

एमएसएमई सेक्टर को मिले बढ़ावा

यह सेक्टर लगभग 12 करोड़ रोजगार पैदा करता है। साथ ही इस सेक्टर का भारत के जीडीपी में 33 फीसदी अंशदान है। हालांकि, एमएसएमई सेक्टर को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है और आगामी यूनियन बजट 2023 में इसकी समस्याओं का कुछ समाधान हो सकता है और जोब ग्रोथ को बढ़ावा दिया जा सकता है।