अवन्तीबाई महिला अस्पताल में 2015 से चल रही सम्पूर्णा क्लिनिक
अब तक करीब 40 हजार महिलाओं ने उठाया क्लिनिक का लाभ
लखनऊ : कैसरबाग निवासी 32 वर्षीया प्राची को अनियमित माहवारी की शिकायत थी और माहवारी के दौरान रक्तस्राव भी ज्यादा हो रहा था| इसके साथ ही पेड़ू में भी दर्द था| डर था कि कहीं बच्चेदानी के मुंह का कैंसर तो नहीं है| वह अवन्तीबाई जिला महिला अस्पताल स्थित सम्पूर्णा क्लिनिक पहुँचीं जहां प्रारम्भिक जाँचें हुईं और चिकित्सक ने बताया कि घबराने की कोई बात नहीं, यह कैंसर नहीं है| यह समस्या हार्मोन्स में परिवर्तन के कारण है|
केस 2 : कैंपबेल रोड निवासी पूजा बताती हैं कि उनकी 55 वर्षीया माँ के स्तन में गांठ थी| वह जांच के लिए सम्पूर्णा क्लिनिक पहुँचीं| जांच के बाद एडवांस स्तर के कैंसर की पुष्टि हुई और इलाज के लिए केजीएमयू रिफर कर दिया गया| पूजा बताती हैं कि यहाँ आने पर समय से उनकी माँ की बीमारी का पता चला और इलाज शुरू हो गया| उन्हें कहीं इधर उधर भटकना नहीं पड़ा|
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज अग्रवाल का कहना है कि महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति संजीदा रहना चाहिए| परिवार को वह तभी सुखी रख पायेंगी जब वह खुद स्वस्थ रहेंगी| तीस साल के बाद हर महिला को अपने स्वास्थ्य की जांच जैसे बीपी, डायबिटीज, हीमोग्लोबिन आदि की नियमित जांच करानी चाहिए ताकि समय से समस्या का पता चल जाए और सही इलाज शुरू हो सके| इसके अलावा यदि स्तनों में या शरीर में कुछ असामान्य महसूस हो तो तुरंत ही क्लिनिक पर आकर जांच कराएं| इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अवन्ती बाई जिला अस्पताल में सम्पूर्णा क्लिनिक की शुरुआत की गई है| क्लिनिक में महिला स्टाफ की ही नियुक्ति है ताकि क्लिनिक पर आने वाली महिला को झिझक न महसूस हो| अधिक से अधिक महिलाओं को इस क्लिनिक की सुविधा का लाभ उठाना चाहिए|
सम्पूर्णा क्लिनिक की चिकित्सा अधिकारी डा. निशी अग्रवाल बताती हैं कि साल 2015 में 30 से 60 वर्ष की महिलाओं में गैर संचारी रोगों की स्क्रीनिंग के लिए अवन्तीबाई जिला महिला अस्पताल में सम्पूर्णा क्लिनिक की शुरुआत की गई| शुरुआत में यहाँ सर्वाइकल कैंसर (बच्चेदानी के मुंह के कैंसर), ब्लड प्रेशर, खून की कमी, मोटापा और डायबिटीज की जांच होती थी| बाद में स्तन कैंसर की जांच भी शुरू हो गई| विस्यूल इंस्पेक्शन विद एसीटिक एसिड (वीआईए) जांच में प्री सर्वाइकल कैंसर की पुष्टि होने पर क्रायोथेरेपी के द्वारा इलाज किया जाता है और हर छह-छह माह पर फॉलो अप के लिए बुलाया जाता है|
सर्वाइकल कैंसर की पुष्टि होने पर इलाज के लिए उच्च स्वास्थ्य केंद्रों पर संदर्भित किया जाता है। इस क्लिनिक में साल में लगभग पाँच से छह हजार महिलाओं की जांच होती है| यहाँ पर जांच के बाद इलाज के लिए उन्हें समस्या के अनुसार इलाज के लिए चिकित्सक या राम मनोहर लोहिया, केजीएमयू सहित उच्च स्वास्थ्य केंद्रों पर संदर्भित कर दिया जाता है|
क्लिनिक के शुरू होने से लेकर अभी तक 40 हजार से अधिक महिलाओं ने इस क्लिनिक का लाभ उठाया है| क्लिनिक में कुल चार महिला स्टाफ हैं – चिकित्सक, काउन्सलर, स्टाफ नर्स और सपोर्टिंग स्टाफ|
डा. अग्रवाल बताती हैं कि अधिकतर महिलाएं स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होती हैं और वह जल्दी जांच नहीं कराती हैं| टीम ओपीडी में जाकर महिलाओं को बीपी और डायबिटीज की जांच के लिए सम्पूर्णा क्लिनिक में लाती है| कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं कहती हैं कि वह स्वस्थ हैं लेकिन जांच करने पर उनमें बीपी, खून की कमी या डायबिटीज की पुष्टि होती है| इसके अलावा आशा कार्यकर्ता भी समुदाय से महिलाओं को जांच के लिए लेकर यहाँ आती हैं| बलरामपुर और अन्य जिला चिकित्सालयों के चिकित्सक भी यहाँ जांच के लिए महिलाओं को भेजते हैं|
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में होने वाली कुल मौतों में लगभग दो- तिहाई मौतें गैर संचारी रोग जैसे-हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह एवं सांस की बीमारी के कारण होती हैं| राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5(2019-21) के आँकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में 30 से 49 साल की केवल 1.5 फीसद महिलाओं ने सर्वाइकल कैंसर का स्क्रीनिंग टेस्ट कराया है वहीं केवल दशमलव चार फीसद महिलाओं ने स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग करायी है| राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5(2019-21) के अनुसार जनपद में 30 से 49 साल की केवल 1.1 फीसद महिलाओं ने सर्वाइकल कैंसर का स्क्रीनिंग टेस्ट कराया है|