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Supreme Verdict : नबाम रेबिया फैसले को तत्काल बड़ी पीठ के पास भेजने की जरूरत नहीं!

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा से जुड़े मामले को लेकर शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने 2016 के नबाम रेबिया फैसले को सात जजों की संविधान पीठ के पास तत्काल भेजने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नबाम रेबिया के फैसले को सात-न्यायाधीशों की बेंच को भेजा जाना चाहिए या नहीं, यह केवल महाराष्ट्र राजनीति मामले की सुनवाई के साथ ही तय किया जा सकता है। कोर्ट 21 फरवरी को महाराष्ट्र राजनीतिक संकट के मामलों पर अगली सुनवाई करेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पिछले साल जून में शिवसेना के दोफाड़ होने की वजह से महाराष्ट्र में उत्पन्न राजनीतिक संकट से जुड़े मामले के संदर्भ में 2016 में नबाम रेबिया फैसले को बड़ी पीठ को पुनर्विचार करने के लिए भेजने को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया था। नबाम राबिया के फैसले ने अयोग्यता याचिकाओं को तय करने के लिए स्पीकर की शक्ति को प्रतिबंधित कर दिया था, क्योंकि उनके निष्कासन की मांग वाला प्रस्ताव पहले से ही लंबित था।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने इस पहलू पर अपना फैसला सुरक्षित रखने से पहले नबाम रेबिया पर पुनर्विचार की आवश्यकता है या नहीं, इस पर दलीलें सुनी थीं। सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था कि विचार किए जाने वाले पहलुओं में से एक यह है कि क्या नबाम रेबिया का फैसला इस मामले में लागू होता है या नहीं? पीठ ने कहा था कि 10वीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) को राजनीतिक प्रतिष्ठानों ने आत्मसात कर लिया है। यह शतरंज की बिसात की तरह है, हर कोई जानता है कि अगला कदम क्या होगा।