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कविता सायास नहीं लिखी जा सकती है, वह स्वत: प्रस्फुटित होती है : डॉ अनुराधा बनर्जी

कविता सहज आत्मानुभूति है : डॉ राम सुधार सिंह
“पोयम्स फॉर ऑल” पुस्तक का हुआ लोकार्पण

वाराणसी : शिवपुर स्थित कादीपुर में अशोक जन नाट्यशाला के अंतर्गत सोमवार को “पोयम्स फॉर ऑल” पुस्तक का लोकार्पण और वसंतोत्सव कार्यक्रम संपन्न किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए डॉ अनुराधा बनर्जी ने ग्रीक विचारक प्लेटो तथा अरस्तु के काव्य संबंधी विचारों का उल्लेख करते हुए कविता की मूल प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला। आपने कहा कि कविता सायास नहीं लिखी जा सकती है वह स्वत: प्रस्फुटित होती है। राम ललित सिंह की कविताओं की सहजता पाठक को प्रभावित करती है।

सुप्रसिद्ध समालोचक डॉ राम सुधार सिंह जी ने कविताओं को सहज आत्मानुभूति से जोड़ते हुए कहा- “राम ललित सिंह की कविताएं काव्यशास्त्र की कसौटी पर भले ही खरी न उतरे, किंतु सहज आत्मानुभूति से संदर्भित होने के कारण आकर्षित करती है । कहा भी गया है कि सरल लिखना बहुत कठिन होता है , इस सहजता के बीच कवि गहन जीवन मूल्यों की बात करता है। उदाहरण के लिए ‘होम’ ‘ब्यूटी’ जैसी कविताओं को देखा जा सकता है।

पोयम्स फॉर ऑल पुस्तक के रचयिता राम ललित सिंह ने अपनी पहली कविता को याद करते हुए बतलाया कि वह कविता उन्होंने अपनी नतिनी के लिए लिखा। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. राघवेंद्र नारायण सिंह ने विवेच्य पुस्तक की कविताओं के वैशिष्ट्य की चर्चा की। साथ ही आपने अंग्रेजी के कवि वर्ड्सवर्थ, मैथ्यू अर्नाल्ड की कविताओं को उद्धृत किया तथा बताया कि कवि आर.एल सिंह इन कवियों से कहीं न कहीं प्रभावित है।

बसंतोत्सव कार्यक्रम में हुआ आचार्य नागेंद्र शर्मा का गायन

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में बसंत उत्सव के अंतर्गत आचार्य नागेंद्र शर्मा ने होली से संदर्भित गीतों को सुना कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अतिथियों का स्वागत अशोक आनंद एवं धन्यवाद ज्ञापन शोभना प्रधान ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मेजर अरविंद कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ जीएस मौर्या, डॉ विश्वनाथ, ज्ञान दर्शन, आरडी प्रसाद, पी राम, मुन्ना लाल चौहान, डॉ ए राम, हशम तुराबी, गिरधर सिंह, अलकबीर, उषा वर्मा, गौरीशंकर सिंह, सत्येंद्र, मोना तथा किरण उपस्थित रहे।