Tuesday , February 28 2023

Decision : फाइलेरिया अभियान एक हफ्ते और बढ़ा

27 फरवरी तक चलने वाला अभियान अब 7 मार्च तक चलेगा
रविवार को भी शहरी और ग्रामीण इलाकों में खिलाई गई दवा

लखनऊ : जनपद में 27 फरवरी तक चलने वाला फाइलेरिया अभियान अब सात मार्च तक चलेगा। इस अभियान की तारीख बढ़ाने के पीछे अधिकाधिक लोगों को दवा खिलाने का उद्देश्य है। वहीं जनपद के शहरी और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य टीम ने रविवार को भी बूथ लगाकर अपने सामने दवा खिलाई। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. ऋतु श्रीवास्तव ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के तहत जनपद में 10 फरवरी को आईडीए (आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजाल) अभियान शुरू हुआ था। यह अभियान 27 फरवरी चलना था। जबकि अब यह अभियान 7 मार्च तक चलेगा। उन्होंने बताया कि जिले में रविवार को सैनिक नगर, चौक स्थित आरोही बिल्डिंगऔर रोहतास बिल्डिंग परिसर समेत कई स्थानों पर फाइलेरिया की दवा खिलाई गई। उन्होंने बताया कि पहली बार जिले के पांच मेडिकल कॉलेजों में भी बूथ लग रहे हैं। इसमें केजीमयू, लोकबंधु, कैरियर, इन्टीग्राल और एरा मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। वहीं इस बार शहरी क्षेत्र में खासकर अपार्टमेंट्स और मलिन बस्ती में रहने वाले लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित है। अभियान के दौरान अभियान के दौरान 51,14,982 आबादी को दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित है। वहीं अभियान की शत प्रतिशत सफलता के लिए 8184 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर, 683 सुपरवाइजर और 4092 प्रशिक्षित टीम घर-घर जाकर दवा खिला रही हैं।

जिला मलेरिया अधिकारी ने स्पष्ट किया कि दवा स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सामने ही खानी है और दवा खाली पेट नहीं खानी है। आइवरमेक्टिन ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी जबकि एल्बेंडाजोल को चबाकर ही खानी है। फाइलेरिया की दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती व अत्यधिक बीमार लोगों को नहीं खानी है। शेष सभी लोग साल में एक बार और लगातार पांच वर्ष तक दवा खाकर भविष्य की परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दवा खाने से बचने के लिए बहाने बिल्कुल भी न करें, जैसे- अभी पान खाए हैं, अभी सर्दी-खांसी है, बाद में खा लेंगे आदि। आज का यही बहाना आपको जीवनभर के लिए मुसीबत में डाल सकता है। दवा खाने के बाद जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आए तो घबराएं नहीं। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है। यह बीमारी इस मामले ज्यादा खतरनाक है कि इसके लक्षण ही 10-15 वर्ष बाद दिखते हैं और जब दिखते हैं तब इसका कोई खास उपचार नहीं बचता है। वहीं शुरू में संक्रमित व्यक्ति बिना किसी लक्षण के दूसरे स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित करता रहता है।