अब खांसी-बुखार आने पर लोग पूछते हैं- कहीं यह टीबी तो नहीं
लखनऊ : क्षय रोगियों को ढूँढने, जांच कराने, टीबी की पुष्टि होने पर जिओ टैगिंग करने, निक्षय आईडी बनाने से लेकर फॉलो अप तक मेंआशा कार्यकर्ता अहम् भूमिका निभा रहीं हैं| इस तरह वह राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की एक मजबूत कड़ी बनकर उभरी हैं| राजेन्द्र नगर क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता जया कुमारी नियमित तौर पर क्षेत्र में हर माह सामुदायिक बैठक करके लोगों को टीबी के लक्षणों, जांच और इलाज के बारे में बताती हैं| इसका नतीजा यह रहा कि अब खुद से लोग खांसी, बुखार आने पर उनसे संपर्क करते हैं और पूछते हैं कि कहीं यह टीबी के लक्षण तो नहीं हैं| इसके अलावा वह बताती हैं कि टीबी को लेकर आज भी लोगों में भ्रांतियाँ हैं| क्षेत्र में यदि किसी को टीबी है तो आस-पास के लोग तो पूरे घर से ही दूरी बना लेते हैं| एक- दो परिवार ऐसे हैं जो क्षय रोगी के बर्तन ही अलग कर दिए| उन्हें पता ही नहीं है केवल फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है| ऐसे में हम सबसे पहले यही समझाते हैं कि यदि फेफड़ों की टीबी है तो सावधानी बरतने की जरूरत है, जैसे – मरीज खाँसते और छींकते समय मुंह पर रुमाल लगाए, खुले में बलगम न थूकें आदि| यदि वह नहीं समझते हैं तो हम टीबी एचवी राम प्रकाश जी की मदद लेते हैं| इस प्रकार से हम क्षय रोगी और उसके परिवार के सदस्यों को समझाबुझाकर भ्रांतियाँ दूर करने का प्रयास करते हैं|
जया बताती हैं कि कभी-कभी मरीज टीबी की दवा लेने नहीं आ पाते हैं तो ऐसे में उनके घर दवा पहुंचाते हैं| कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं जिनका निजी चिकित्सक का इलाज चल रहा है और निजी चिकित्सक ने उन्हें सरकार द्वारा दी जा रही सेवाओं की जानकारी नहीँ दी| ऐसे मरीजों से बात की और उन्हें डॉट सेंटर पर मिलने वाले इलाज के बारे में बताया और उनका इलाज शुरू कराया| जया बताती हैं कि उनकी यही प्राथमिकता रहती है कि क्षय रोगी के लक्षण, जांच और इलाज के बारे में लोगों को बताएं| इसके साथ ही छिपे हुए क्षय रोगियों को ढूंढें और उन्हें स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं से जोड़ें। जया अभी तक 28 क्षय रोगियों को पूरी तरह से स्वस्थ बनाने में सहयोग कर चुकी हैं और साल के पहले सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ) में उन्होने तीन क्षय रोगियों को ढूंढा है।
टीबी मरीज की पुष्टि पर मिलते हैं 500 रुपये
जिला क्षय रोग अधिकारी डा.आर.वी.सिंह का कहना है कि आशा कार्यकर्ता को अपने क्षेत्र की पूरी जानकारी होती है। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में भी आशा कार्यकर्ता सक्रिय भूमिका निभा रही हैं| इनके सहयोग से ही क्षेत्र के छूटे एवं छिपे हुए मरीजों तक पहुंचना आसान है| संभावित क्षय रोगी को ढूँढने, सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराने और क्षय रोग की पुष्टि होने पर आशा कार्यकर्ता को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रति मरीज दिए जाने का प्रावधान है| यह धनराशि आशा कार्यकर्ता के बैंक खाते में सीधे भेजी जाती है|