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भारत विश्वगुरु बन चुका है, जल्द ही तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेगा : रामनाथ कोविंद

‘शैक्षिक जगत के समक्ष उच्च शिक्षा में उभरती चुनौतियां’ पर संगोष्ठी

-सुरेश गांधी

वाराणसी : बनारस दौरे पर आए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में शामिल हुए। “शैक्षिक जगत के समक्ष उच्च शिक्षा में उभरती चुनौतियां’’ विषयक संगोष्ठी में उन्होंने शिक्षकों को युवाशक्ति का निर्माता बताते हुए कहा कि दुनिया में भारत की साख काफी बढ़ी है, जो इस बात का गवाह है कि भारत विश्व गुरु बन चुका है और जल्द ही अगले दो-तीन सालों में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन जाएगा। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि जो लोग विश्व शक्ति या विश्व गुरु की कल्पना इस आधार पर करना चाहते है कि विश्व की कोई वर्ल्ड गवर्मेंट बनेगी, इसकी राजधानी भारत होगी और यहां के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री दुनिया के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बन जाएंगे, यह बेमानी होगा। जो होने वाला है उसको ही वर्ल्ड पावर मानना पड़ेगा। भारत इस समय दुनियां की पांचवीं आर्थिक शक्ति है। अगले दो या तीन वर्षों में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन युद्ध की चर्चा करते हुए कहा कि दुनिया में ऐसा कहीं भी नहीं देखने को मिला होगा कि दो देश युद्ध कर रहे हो और उन्हें कहां जाएं कि 24 घंटे के लिए सीजफायर कर दिया जाएं। नतीजा यह रहा कि 24 घंटे के उस सीजफायर में 23000 से अधिक वहां रह रहे भारतीय बच्चों को वापस बुलाया जा सका। इसके लिए बच्चों को सिर्फ अपने हाथों में तिरंगा लेकर भारतीय दूतावास पहुंचने की अपील की गयी थी। जबकि अमेरिका व चीन जैसी महाशक्तियों ने अपने देश के युवाओं को खुद के प्रयास से वापस आने के लिए कह दिया था।

उन्होंने का उदाहरण देते हुए भाषा पर बात की अदालत में वकील अंग्रेजी में बहस करते हैं ऐसे में वह क्लाइंट जो लोकल भाषा जानता है उसे पता नहीं चल पाता कि उसका मशीन उसके पश्चात कर रहा है अथवा विरोधी विरोधी पक्ष में फैसला वकील से समझने के लिए उसे अतिरिक्त फीस देनी होती है वही गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि भविष्य में शिक्षा का स्वरूप होगा और समाज और राष्ट्र के लिए शिक्षा कितना योगदान कर सकती है इस कल्पना को स्थापित करने में शांति स्थापित हो सकती है। उन्होंने कहा कि काबिल युवाओं को तैयार करने वाले शिक्षक ही हैं। ऐसे में शिक्षक को शिक्षा व्यवस्था के मूलभूत सुधारों पर फोकस करना चाहिए। सीखने-सिखाने के साथ वर्तमान में जीने होगा। चिंतन मनन करना ही शिक्षक का काम है। सीखने के लिए हर इंसान को अहंकार से दूर होना होगा। काम करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा और उसके प्रयोग को तेजी से आत्मसात करने की बात कही। यह भी कहा कि सभी स्तरों पर शिक्षकों को हमारे समाज के सबसे सम्मानित और जरूरी सदस्यों के रूप में फिर से स्थापित किया जाना चाहिए। क्योंकि, वे लोग ही वास्तव में नागरिकों की हमारी अगली पीढ़ी को आकार देते हैं।

कहा, अध्यापक हैं अगली पीढ़ी के रचयिता, उनका सम्मान हो

उन्होंने एक मुकदमे का उद्धरण देते हुए भाषा पर बात की। कहा कि अदालतों में वकील अंग्रेजी में बहस करते हैं ऐसे में वह क्लाइंट जो लोकल भाषा जानता है, उसे पता नहीं चल पाता कि उसका वकील उसके पक्ष में बात कर रहा अथवा विरोधी के पक्ष में। फैसला अंग्रेजी में होने पर वकील से इसे समझने के लिए उसे अतिरिक्त फीस देनी होती है। आईयूसीटीई गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर जगमोहन सिंह राजपूत ने कहा कि भविष्य की शिक्षा पर आयोजन केंद्रीत है। भविष्य में शिक्षा का स्वरूप होगा और समाज और राष्ट्र के लिए शिक्षा कितना योगदान कर सकती है। हम इस संकल्पना को स्थापित करने में सक्षम हों कि विश्व में शांति स्थापित हो सकती है। इसके पूर्व उन्होंने मां सरस्वती व महामना मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्ज्वलन कर दो दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया। इस दौरान गवर्निंग बोर्ड के चेयरमैन प्रो. जगमोहन सिंह राजपूत ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को श्रीकाशी विश्वनाथ और गंगा घाट आधारित मोमेंटो और शॉल देकर सम्मानित किया। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इससे पहले गुरुवार शाम भारत माता मंदिर और काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग भी गए थे। यहां पर काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी के साथ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कला मेला में स्टॉल पर रखे कलाकृतियों और कला प्रदर्शनी को देखा। स्टॉल पर मौजूद छात्र-छात्राओं से बातचीत की।

100 से ज्यादा प्रतिभागी हुए शामिल
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में 100 से ज्यादा प्रतिभागी आएं हुए हैं। यहां पर कुल 15 एक्सपर्ट के व्याख्यान होंगे। इस संगोष्ठी का उद्देश्य वर्तमान और भविष्य में शैक्षिक जगत के समक्ष उच्च शिक्षा में उभरती चुनौतियों को चिन्हित करना है। साथ ही उनके समाधान के लिए सार्थक विमर्श और भावी कार्ययोजना क्या हो इस पर विचार-मंथन करना है।

बनारस से मिलती है अलौकिक ऊर्जा
राष्ट्रपति कोविंद ने बनारस की आध्यात्मिक शक्ति का बखान किया। कहा कि बाबा विश्वनाथ और संकट मोचक हनुमान जी के नगर में आकर एक अलौकिक ऊर्जा सी मिलती है। पौराणिक में मान्यता है कि काशी में आते करते ही इंसान समस्त बंधनों से मुक्त हो जाता है। ज्ञान का प्रकाश देने वाली काशी की इस पावन भूमि में भारत के सांस्कृतिक वैभव को देखकर मन श्रद्धा से भर उठता है। मैं इस पवित्र भूमि को नमन करता हूं। एक ओर काशी का जुड़ाव ऋषि धन्वंतरि महात्मा बुद्ध, आदि शंकराचार्य, संत कबीर, संत रविदास और वल्लभाचार्य से रहा है, वहीं दूसरी ओर इस नगर के शैक्षिक इतिहास में महामना मदन मोहन मालवीय, पंडित गोपीनाथ कविराज, शिवप्रसाद गुप्त, राजर्षि उदयप्रताप जूदेव का अविस्मरणीय योगदान है। यहीं पर तुलसीदास ने रामचरित मानस लिखी। जय शंकर प्रसाद और प्रेमचंद ने हिंदी के अमर साहित्य का उदय किया। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खां की शहनाई और भारत रत्न पं रविशंकर के सितार के तार गूंजे। पं. बिरजू महाराज, पं छन्नूलाल मिश्र और राजन मिश्र साजन मिश्र की कला परवान चढ़ी। मेरे पूर्ववर्ती और महान दार्शनिक डॉ. एस. राधाकृष्णन भी, ने भी काशी के शिक्षा जगत को सुशोभित किया था।