-सुरेश गांधी
वाराणसी : मेयर के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरु हो गयी है। प्रत्याशियों का नामांकलन दाखिला भी तेज हो गया है। कुछ दल से उम्मींदवार बनाएं जाने की आस में वेट एंड वाच की मुद्रा में है तो कुछ हरहाल में मैदान में उतरने की हसरत पाले बगावती तेवर में दिखाई दे रहे है। इस बीच जब आम नागरिकों की राय जाना गया तो लोगों का मानना है कि हमारा मेयर ऐसा हो जो विकास के साथ-साथ लोगों के सुख-दुख का साथी हो। इस श्रृंखला में वाराणसी व्यापार मंडल अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा खरे उतरते है। बता दें, बग्गा ऐसी सख्सियत का नाम है, जिनके समाजसेवा की ललक के आगे स्वाथ्य कोई मायने नहीं रखता। उनकी दोनों किडनी फेल है, हर तीसरे दिन डायलिसिस होती है, लेकिन सुबह से रात के दो बजे तक वे हर उस जरुरतमंद की ममद के लिए तत्पर रहते है, जो अभावग्रस्त है। चाहे वह कमजोर वर्गों की शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक उत्थान की बात हो या मुफलिसी की जिन्दगी जी रहे परिवारों को परिणय सूत्र में बांधने से लेकर उनके घर बसाने की, हर मसलों पर वे चट्टान की तरह तनकर ख़ड़े रहते है। और जब व्यापारियों के उत्पीड़न की हो तो उन्हें न्याय दिलाएं बगैर चैन से नहीं बैठते।
खास यह है कि बग्गा के जीवन में एक ऐसा भी वक्त आया जब वे दिल्ली के एक अस्पताल में जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रहे थे, लेकिन जैसे ही उनकी कान में एक व्यापारी को हत्या के झूठे मुकदमें जेल भेजे जाने की खबर पहुंची, बनारस आ गए और मुकदमा वापस कराने के बाद ही दवा की डोज ली। कोरोनाकाल में उन्होंने कोविड हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर उन्हें नाश्ता व भोजन मुहैया कराने के साथ झोपड़पट्टियों में रहे रहे लोगों में भोजन से लेकर कंबल तक जिस तरीके से वितरीत किया, वह समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य रहे समाजसेवियों के लिए अद्भूत मिसाल बन गया है। सुंदरपुर के राकेश त्रिपाठी का कहना है कि बग्गा के जीवन में चाहे कितनी मुश्किलें आएं, वो अपनी गतिविधियों से पीछे नहीं हटते। बग्गा काशी के उन चर्चित शख्सियतों में शुमार है, जिनकी पूरी जिंदगी दुसरों की सेवा में ही बीत रही हैं। वह चाहे गरीब घरों की बच्चियों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने की बात हो या व्यापारियों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में किए जा रहे कार्य हो या उनके उत्पीड़न से लेकर माफियाओं की वसूली से बचाना हो या गायों की सेवा हो या बंदरों को फल खिलाकर उनका पेट भरने का प्रयास। पक्षियों के ठहरने के लिए घोसलों की व्यवस्था हो या फिर उनके खाने-पीने का इंतजाम। वह सामाजिक सरोकार की हर उस डगर की साक्षी हैं, जिस पर चलकर गरीबों, पीड़ितों, शोषितों, मजलूमों का दुख-दर्द साझा किया जा सकता हो।
एहसान शेख आसिफ व सुखलाल का कहना है कि बग्गा वैसे तो पीड़ित मानवता की सेवा में सदैव समर्पित रहते हैं, लेकिन खासतौर पर विगत तकरीबन डेढ़ वर्षो से कोरोना संक्रमण काल के दौरान उन्होंने मानव सेवा की जो अद्भुत मिसाल पेश की है, वह अनुकरणीय ही नहीं, बल्कि प्रेरणास्रोत भी बन गई है। कोरोनाकाल में बग्गा ने कोविड हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को पौष्टिक नाश्ता एवं भोजन मुहैया कराने का संकल्प लिया, जिसे अमलीजामा पहनाने के लिए वह प्रातः ही उठ जाया करते और स्वयं नाश्ता तैयार करने के साथ ही उसकी पैकिंग करके हॉस्पिटल में पहुंचाने तक, जहां उसे कोविड मरीजों को वितरित किया जाता रहा। खासकर निचले तबके के झोपड़पट्टियों में खुद जरुरतमंदों तक पहुंचकर भोजन से लेकर बच्चों के टॉफी-बिस्कुट खुद बांटते थे। क्षेत्र के धर्मेंद्र पांडे, रवि प्रकाश, अश्विनी गुप्ता व राज कुमार सोनकर, अशोक अग्रहरी, शैलेश श्रीवास्तव, अरविंद लाल पारिया, अभय श्रीवास्तव, पंकज चौरसिया, सरिता विश्वकर्मा व नोज हड्डा चौक का कहना है कि वोट मांगते समय ही केवल उम्मीदवार दिखाई पड़ते है। लेकिन बग्गा ऐसे सामाजिक प्राणी है, जो लोगों के हर दुख-सुख में शामिल होते है। मतलब साफ है सच्चा मेयर वही होगा जो जीतने के बाद अपने पूरे वादे को निभा सके।