तर्क: शहर से लेकर देहात तक के लिए मुुफीद है सीटी में कचहरी, कचहरी आने वाला व्यक्ति उतने ही भाड़े-किराएं में कर लेता है मार्केटिंग व अन्य कामकाज जबकि नए जगह संदहा में शिफ्ट होने वाला कचहरी है शहर से कई किमी दूर सूनसान इलाका
-सुरेश गांधी
वाराणसी : शहर से पांच-छह किमी दूर संदहा में कचहरी शिफ्ट किये जाने को लेकर काशीवासियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। अधिवक्ताओं ने तो प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ पहले से ही मोर्चा खोल रखा है। अधिवक्ता वंदना जायसवाल, आनंद शर्मा सहित कई सीनियर अधिवक्ताओं की प्रशासन को सलाह है कि कचहरी के लिए जगह कम पड़ रही है तो सेंट्रल जेल वाले स्थान पर शिफ्ट किया जाएं या बनारस क्लब को तोड़कर कचहरी में मिलाया जाएं। क्योंकि कचहरी शहर में है और हर तरफ से आने वाले फरियादियों के लिए मुफीद तो है ही उसी भाड़े किराएं में उनकी मार्केटिंग व अन्य कामकाज भी हो जाते है। मजाक ही सही एक अधिवक्ता ने तो यहां तक कहा, शहर से सजाफ्ता अपराधी से क्या वास्ता, उसे तो संदहा जैसे क्षेत्र में रखना उचित है।
फिरहाल, प्रशासन द्वारा कचहरी को संदहा में शिफ्ट करने की तैयारी का अधिवक्ताओं की ओर से जबरदस्त विरोध किया जा रहा है। इसके लिए वकीलों ने कामकाज ठप कर प्रदर्शन भी कर रहे है। बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन द्वारा गाजीपुर-चौबेपुर मार्ग पर 20.59 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की हुई है और जिला न्यायालय को शहर से बाहर शिफ्ट कर दिया जाएगा. वकीलों का कहना है कि ऐसा करने से उन्हें मुसीबत का सामना करना पड़ेगा. कचहरी को इस तरह से कहीं और शिफ्ट नहीं किया जा सकता. प्रशासन द्वारा कहा जा रहा है कि संदहा में कोर्ट की नई बिलिं्डग योजनाबद्ध तरीके से बनाई जाएगी. इस पर वकीलों ने आरोप लगाया कि उनके परिसर से सटे हुए बनारस क्लब को अवैध रूप से बनाया गया है. उस क्लब की भूमि को अधिग्रहित करके जिला प्रशासन वाराणसी कचहरी का विस्तार किया जाए, न कि उनकी कचहरी को शहर से बाहर शिफ्ट करें. वकीलों ने चेतावनी दी कि है अगर जिला प्रशासन अपने फैसले को वापस नहीं लेता है तो वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे.
इस मामले में दी सेंट्रल बार एसोसिएशन बनारस द्वारा वाराणसी जिला जज को भी एक लेटर लिखा है. जिसमें कहा गया कि आपात बैठक बुलाकर इस मसले पर चर्चा कराई जाएं और उनकी भावनाओं को देखते हुए अपना सहयोग प्रदान करें. पूर्व महामंत्री अधिवक्ता नित्यानंद राय ने कहा कि कचहरी स्थानांतरण का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा. जरूरत पड़ने पर सड़क पर उतर कर बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा. भाजपा विधि प्रकोष्ठ के काशी क्षेत्र संयोजक अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्रीयोगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर कचहरी स्थानांतरित न किए जाने का निवेदन किया गया है. अदालतें समाज का एक हिस्सा मानी जाती हैं. यह आम जनता के रोजमर्रा जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थान है. लगभग हर तीसरे या चौथे घर से एक व्यक्ति विवाद के निपटारे के लिए कचहरी आता है. यही हाल अधिवक्ताओं का है. जिले के कोने-कोने से अधिवक्तागण वकालत करने कचहरी आते हैं. शाम होते घर चले जाते हैं. ऐसे में कचहरी का स्थान सुविधानुसार होना चाहिए.
चाहे वादकारियों की बात हो या फिर अधिवक्ताओं की और दोनों के सुविधा की दृष्टि से कचहरी का स्थानांतरण अव्यावहारिक है. उन्होंने कहा कि मौजूदा कचहरी परिसर के अगल-बगल ही विस्तार की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए. बता दें, पिछले साल कचहरी स्थानांतरण का मुद्दा गरमाया था. पिंडरा के पास कचहरी के स्थानांतरण का जबरदस्त विरोध अधिवक्ताओं ने किया था. उस समय शहर में आए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिवक्ताओं से वार्ता के बाद आश्वस्त किया था कि कचहरी परिसर स्थानांतरित नहीं होगा. बल्कि आसपास की जमीन पर विस्तार किया जाएगा. इस बीच एक बार फिर संदहा कचहरी परिसर स्थानांतरित किए जाने की चर्चा जोर पकड़ने लगी है. वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा ने भी प्रशासन के फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि कचहरी का विस्तारीकरण हो लेकिन शहर से बाहर नहीं, जरुरत हो तो सेंट्रल को जेल को दुसरी जगह शिफ्ट किया जाएं।