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आतंकी साजिश को बेनकाब करती फिल्म ‘द केरल स्टोरी’

‘द केरल स्टोरी’ वो दिल को दहला देने वाली, सच्ची कहानी जो पहले कभी नहीं कही गई. एक खतरनाक साजिश का खुलासा जो भारत के खिलाफ रची गई. जिसमें 32 हजार लड़कियों के दिमाग के साथ खेलकर उन्हें अपने जाल में फंसाकर इस्लामिक-लव जिहाद की ओर ले जाया गया है. फिर इन लड़कियों को उनके मकसद के लिए इस्तेमाल किया जाता है. धर्मांतरण के बाद लड़कियों का माइंड वॉश करके उन्हें आइएसआइएस के मिशन के साथ जोड़ा जाता है. हालांकि यह राम कहानी सिर्फ केरल के कुछ युवतियों के साथ है, ऐसा नहीं है। लव जेहाद के घनचक्कर में इस्लाम धर्म अपनाकर इस्लामिक स्टेट में शामिल कराकर आतंकवादी बनाने का खेल यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश सहित देश के हर हिस्से में हो रहा है। खास यह है कि फिल्म रिलीज होते ही जिस तरह पूरे देश में धूम मचा रखा है उससे तस्करी और धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाले इस्लामिस्टों की रातों की नींद उड़ गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो कांग्रेस के विरोधी स्वर को पछाड़ते हुए पश्चिम बंगाल में प्रतिबंध लगा दी है

-सुरेश गांधी

’द केरल स्टोरी’ फिल्म इन दिनों टॉक ऑफ द टाउन बनी हुई है। रिलीज होने के बाद से ही लगातार सुर्खियों में है. एक तरफ कुछ राज्यों में इसके खिलाफ दुष्प्रचार जारी है तो वहीं दूसरी तरफ तमाम आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई कर रही है. तीन दिनों के अंदर यह फिल्म 35.25 करोड़ रुपए की कमाई कर चुकी है. 1300 स्क्रीन्स पर रिलीज हुई इस फिल्म ने पहले दिन (शुक्रवार) 8.03 करोड़ रुपये कमाए. दूसरे दिन शनिवार को फिल्म ने 11.22 करोड़ रुपये का बिजनेस किया. वहीं, रविवार को इसकी ग्रोथ काफी बढ़ गई और फिल्म ने 16 करोड़ रुपये की कमाई की और वीकेंड पर ये आंकड़ा और बढ़ेगा. तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में फिल्म को बैन कर दिया गया है. तो मध्य प्रदेश के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी टैक्स फ्री होने जा रही है।

देखा जाए तो यह फिल्म जिहाद, धर्मांतरण और आतंकवाद के घिनौने षड्यंत्र को उजागर करती है. भावुकता में जो बेटी लव जिहाद के जाल में उलझ जाती हैं, उनके साथ कैसी दरिंदगी होती है और अंततः उनकी जिंदगी कैसे तबाह होती है, उस सच्चाई को फिल्म उजागर करती है. मतलब साफ है फिल्म ’द केरला स्टोरी’ की कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है। इसमें बताया गया है कि किस तरह हजारों मासूम महिलाओं का व्यवस्थित तरीके से धर्म परिवर्तन करवाया गया, कट्टरपंथी बनाया गया और उनकी जिंदगी बरबाद कर दी गई. इस फिल्म को बनाने का उद्देश्य भारतीय युवतियों को लव जेहाद की आड़ में आतंकवादी बनने से बचाना है। लेकिन वोट के घनचक्क्र एवं एक तबके का खास बनने के चक्कर में पीएफआई जैसे आतंकी संगठनों की हिमाकत करने वाली राजनीतिक पार्टियां इस फिल्म का यह कहकर विरोध कर रही है कि इससे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच नफरत और दुश्मनी फैलेगी। यह फिल्म पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम कर रही है. चाहे वो मुस्लिम लीग, कांग्रेस रहे हों या फिर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित पूरी कांग्रेस इस फिल्म के लिए निर्माता निर्देशक सुदिप्तो सेन की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए इस फिल्म को झूठ का पुलिंदा बता रहे है.

यह अलग बात है कि जमीयत उलमा-ए-हिंद सहित अन्य सर्पोटिंग राजनीतिक दलों के मंसूबो को सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई से इनकार दिया। खास यह है कि फिल्म 5 को रिलीज होते ही पूरे भारत में धूम मचा रखी है। इसे देखने के लिए सिनेमाघरों के बाहर दर्शकों की लंबी लंबी कतारें हैं. खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के चुनावी सभा में न केवल कांग्रेस को आड़े हाथों लिया बल्कि फिल्म का भी जबरदस्त प्रचार करते हुए कहा कि फिल्म ’केरला स्टोरी’ आतंकी साजिश को बेनकाब करती है. केरला स्टोरी सिर्फ एक राज्य की ही आतंकी साजिशों का भंडाफोड़ नहीं करती बल्कि देश के अन्य राज्यों में होने वाली लव जेहाद की घटनाओं का भी खुलासा करती है। पीएम मोदी ने ये भी कहा कि बम-बंदूक और पिस्तौल की आवाज तो सुनाई देती है, लेकिन समाज को भीतर से खोखला करने की आतंकी साजिश की कोई आवाज नहीं होती. देश का दुर्भाग्य देखिए कि कांग्रेस आज समाज को तहस-नहस करने वाली इस आतंकी प्रवृत्ति के साथ खड़ी नजर आ रही है. जबकि एक वर्ग और कुछ राजनीतिक दलों द्वारा इसे प्रोपोगेंडा फिल्म बताकर विरोध किया जा रहा है। कहा जा रहा है ऐसी फ़िल्में सामाजिक ताने बाने को प्रभावित करती हैं.

बता दें, केरल में महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें आतंकवादी समूह में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया। फिल्म भी केरल की 32000 लड़कियों का धर्म बदलवाकर, उन्हें आइएसआइएस के लिए रिक्रूट करने की कहानी को दर्शाती है. फिल्म एक्ट्रेस अदा शर्मा द्वारा दर्शाया गया है कि कैसे हिंदू से मुस्लिम बनाकर उनका धर्मांतरण किया गया और शालिनी उन्नीकृष्णन से फातिमा बा बनाकर आतंकी संगठन आइएसआइएस से जुड़ने को मजबूर किया गया। बताया जाता है कि वर्ष 2009 में केरल और मैंगलोर से 32 हजार महिलाओं का धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें सीरिया, अफगानिस्तान भेजा गया था। हालांकि संयुक्त राष्ट्र, केंद्रीय गृह मंत्रालय, पुलिस स्रोत और विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि आईएसआईएस में शामिल होने वाले भारतीयों की संख्या लगभग 66 है और अधिकतम संख्या 100 से 200 के बीच है.

फिरहाल, सत्य को छुपाना असंभव ही नहीं बल्कि नाममुकिन होता है। विलंब से ही सही लेकिन सच एक न एक दिन सबके सामने आकर ही रहता है परंतु सच के बाहर आने से कुछ लोगों को समस्याएं अवश्य होने लगती हैं। अब उदाहरण के लिए आप ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को ही ले लीजिए। इस फिल्म के माध्यम से 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए नृशंस हत्याओं से पर्दा क्या उठाया गया, इस कटुसत्य को देखकर वामपंथी वर्ग भड़क उठा था और उसने फिल्म की भर-भरकर आलोचना की थी। अब इसी तरह केरल में महिलाओं की तस्करी और धर्मांतरण की कहानी बयां करने वाली ‘द केरल स्टोरी’ से इस्लामिस्टों की जलने लगी है और वे इसके बैन की मांग कर रहे हैं। फिल्म डायरेक्टर सुदीप्तो सेन के मुताबिक ‘साल 2010 में केरल के तत्कालीन सीएम ओमन चांडी ने विधानसभा के सामने एक रिपोर्ट रखी थी. उन्होंने कहा था कि हर साल लगभग 2,800 से 3,200 लड़कियां इस्लाम धर्म अपना रही हैं.

उन्होंने जो आंकड़ा दिया वो करीब साढ़े छह साल का था. बस इससे अगले 10 सालों का हिसाब लगा लें. ये संख्या 30 से 32 हज़ार होती है.’ यह प्रॉब्लम सिर्फ इंडिया का नहीं है, पूरी दुनिया से लड़कियां जाती हैं.’ लेकिन गैरभाजपाई सियासतदान है कि उन लड़कियों का दर्द समझने के बजाय आतंकी संगठनों के साथ खड़े नजर आ रहे है। वो भूल जाते है कि इसका अंजाम क्या होगा? यहां ये जिक्र करना जरूरी है कि ये सिर्फ केरल में ही नहीं, देश और दुनिया में बहुत सारी जगहों पर हो भी रहा है, जिससे सावधान रहने की ज़रूरत है। समझ बढ़ाने की जरूरत है, जिससे बच्चे ऐसी राह पर ना बढ़ें। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना है कि पश्चिम बंगाल जैसा राज्य फिल्म को बैन करके ऐसा अन्याय कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘ममता बनर्जी के राज्य की एक बच्ची की हत्या हुई. जिस तरह से बेटी को घसीट कर ले जाते हैं, वह दृश्य शर्मसार करने वाला है. आप उस पर तो जवाब नहीं देतीं, लेकिन फिल्म को बैन करने का ऐसा काम करते हैं. क्या मिल रहा है आपको ऐसे आतंकवादी संगठनों के साथ खड़े होकर? क्या मिलता है  ऐसी सोच को बढ़ावा देकर?’

भाजपा का कहना है कि केरल सहित भारत के अनेक इलाकों में महिलाओं का शोषण लंबे समय से होते आ रहा है, जिस पर रोक लगना आवश्यक है। इस फिल्म के माध्यम से उन तथ्यों को बेहतरीन तरीके से लोगों के समक्ष रखा गया है, जो अछूते रहे हैं। महिलाओं को लव जिहाद के नाम पर उकसाना, उन्हें बहलाना और फिर उन्हें आतंकवाद की ओर ले जाने का कार्य हमारे देश में हुआ है इन सभी का चित्रण ’द केरला स्टोरी’ फ़िल्म के माध्यम से किया गया है। इधर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि वे अपने कैबिनेट सहयोगियों और परिवार के सदस्यों के साथ ’द केरला स्टोरी’ देखेंगे. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी आज ’द केरल स्टोरी’ देख सकते हैं. द केरला स्टोरी का प्रीमियर देहरादून के पीवीआर हाथीबड़कला में किया जा रहा है. ये भी माना जा रहा है कि फिल्म को देखने के बाद उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी भी इस फिल्म को टैक्स फ्री कर सकते हैं.

एक नज़र कहानी पर

ये कहानी वैसे तो केरला की चार लड़कियों की है- शालिनी उन्नीकृष्णन, गीतांजली, निमाह और आसिफा। जो नार्थ केरला के एक नर्सिंग कॉलेज में जाती हैं। दो हिंदू, एक क्रिश्चियन और 1 मुस्लिम लड़की, जो आपस में रूम पार्टनर हैं। वो घुलती-मिलती हैं और फिर जब कॉलेज पहुंचती हैं, तो वहां की दीवारों पर कश्मीर की आजादी के नारे लिखे हैं। ओसामा बिन लादेन की तस्वीर हीरो बनाकर दिखाई गई है। इन लड़कियों को पहले ही दिन से ओरिंएटेशन क्लास के साथ-साथ टारगेट कर लिया जाता है। आसिफा, जिसे आईएसआईएस के लिए दूसरे धर्मों की लड़कियों को बहकाने, उन्हें मुस्लिम लड़कों के प्यार में फंसाने और फिर धर्म परिवर्तन कराने से लेकर सीरिया भेजने तक की साजिश में शामिल हुआ दिखाया जाता है। वो शालिनी, गीतांजली और निमाह को इस्लाम, अल्लाह, हिजाब के बारे में ऐसी-ऐसी बातें-बातें बताती है कि अगर वो हिजाब पहने तो सेफ रहेगी, अल्लाह से ताकतवर कोई नहीं और इस्लाम से बेहतर कोई मजहब नहीं। साथ ही आसिफा उन्हें भगवान शिव, भगवान राम, जीसस क्राइस्ट के खिलाफ भड़काती है और फिर शुरू होता है झूठे प्यार का सिलसिला। हिंदू लड़कियों के साथ आईएसाईएस के इशारे पर, मौलानाओं की साजिश पर, मुस्लिम लड़कों का वो धोखे का खेल, जिसमें शालिनी और गीतांजली तो फंस जाती है, मगर क्रिश्चियन लड़की निमाह उससे बच निकलती है और अंजाम उसका भी बुरा होता है। उसके साथ ड्रग्स मिलाकर कई लड़के जबरदस्ती करते हैं।

गीतांजली, जब सीरिया जाकर आईएसआईएस ज्वाइन करने से मना करती है, तो उसकी न्यूड तस्वीरें वायरल कर दी जाती है और शालिनी, जो प्रेग्नेंट होती है, उसे एक दूसरे मुसलमान शख़्स से शादी करके श्रीलंका के रास्ते अफगानिस्तान भेजा जाता है, ताकि उसे सीरिया ले जा सके। जहां दुनिया की दूसरे मजहब की तमाम लड़कियों को धोखे से सिर्फ इसलिए बुलाया जाता है ताकि उनका रेप किया जा सके या सुसाइड बॉम्बर बनाया जा सके। इस फिल्म के क्लाइमेक्स में डायरेक्टर सुदीप्तो सेन और फिल्म के प्रोड्यसूर-क्रिएटिव डायरेक्टर विपुल शाह- कुछ फैक्ट्स पेश करते हैं, कुछ बाइट्स दिखाते हैं, जिससे वो साबित कर सकें कि ये कहानी सच्ची है और इसे कोई भी नकार नहीं रहा कि इन लड़कियों के साथ जो हुआ, वो सच नहीं है। हजारों लड़कियां लव जेहाद का शिकार हो रही है, ना सिर्फ केरला में, बल्कि यूपी में, गुजरात में, देश के दूसरे बहुत से राज्यों में। दुनिया के तकरीबन हर देश में उन्हें धोखा मिलता है, उनके परिवार टूटते हैं, उनमें से कुछ केस के तार आईएसआईएस से जुड़ते हैं और कुछ 20-22 केस के तार, अफगानिस्तान और सीरिया तक जुड़े हैं।

40 करोड़ के बजट में बनी है ’द केरल स्टोरी’

करीब 40 करोड़ रुपये के बजट में बनकर तैयार हुई यह फिल्म देश में करीब 1300 स्क्रीन पर रिलीज हुई है। हालांकि, बंगाल में बैन और तमिलनाडु में मल्टीप्लेक्स एसोसएिशन की ओर से स्क्रीनिंग पर रोक के कारण शोज की संख्या में कमी जरूर आई है। लेकिन इस माहौल ने फिल्म को लेकर दर्शकों की दिलचस्पी भी बढ़ा दी है।