हाईकोर्ट ने लगाया 50 हजार का हर्जाना, बिना जांच के ही ईशी हॉस्पिटल को सीज कर लगाया था ढाई लाख जुर्माना
–सुरेश गांधी
वाराणसी : भदोही सीएमओं द्वारा एक अस्पताल संचालक को फर्जी तरीके से फंसाना महंगा पड़ गया। इस मामले में चिकित्सक की सजगता व कानूनी दरवाजा खड़खड़ाने से सीएमओं की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई से न्याय मिला हैं। हाईकोर्ट ने सीएमओं डॉ. एसके चक को दोषी पाते हुए उन्हें फटकार लगाते हुए 50 हजार का हर्जाना लगाया है। बता दें, ईशी हॉस्पिटल के डाक्टर गणेश यादव को फर्जी तरीके से फसाने व उत्पीड़नात्म कार्यवाई की थी। सीएमओं का आरोप था कि इलाज के दौरान एक व्यक्ति की तबीयत बिगड़ गई। जिसके बाद हॉस्पिटल ने उसे रेफर कर दिया था। जहां रास्ते में उसकी मौत हो गई थी। उनका कहना था कि मामले में पीड़ित पक्ष की शिकायत के बाद जिला प्रशासन की ओर से जांच कमेटी गठित की गई थी।
प्रथम दृष्टया जांच में चिकित्सक की लापरवाही पाते हुए ढाई लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए हॉस्पिटल को सीज कर दिया गया था। आरोप था कि मरीज की काफी हालत बिगड़ने के बाद रेफर किया गया, जिससे वाराणसी ले जाते समय मरीज की मौत हो गया था। सीएमओं की इस कार्रवाई के खिलाफ हॉस्पिटल के संचालक डॉ. गनेश यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जहां दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केशरवानी व अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जांच कमेटी के आदेश को निरस्त करते हुए सीएमओ पर 50 हजार का हर्जाना लगाया। हाईकोर्ट का मानना है कि याचिकाकर्ता पर सीएमओ की ओर उत्पीड़ानात्मक कार्रवाई की गई। कोर्ट ने प्रतिवादी को दो सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के खाते में 50 हजार रुपये अदा करने का निर्देश दिया।