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प्राकृतिक चिकित्सा निदान ही नहीं, जीवन दर्शन भी है, वेद-पुराणों में भी उल्लेख : आनंदीबेन

गंगापुर के घमहापुर में आयोजित काशी अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का अवलोकन किया

सुरेश गांधी

वाराणसी : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्थित गांधी अध्ययनपीठ के सभागार में अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद का “भारतीय ज्ञान परम्परा एवं प्राकृतिक चिकित्सा का गांधीवादी मार्ग“ विषय पर 40वां राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद एवं योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा केन्द्र महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के संयुक्त तत्ववधान में आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसका उल्लेख हमारे वेदों और पुराणों में मिलता है। इसका प्रदुर्भाव प्रकृति के साथ ही हुआ है। यह रोगों के निदान का संसाधन मात्र नहीं बल्कि एक जीवन दर्शन है। भारतीय चिकित्सा पद्धति का प्रभाव कोविड के दौरान देखने को मिला। जहां दवाइयों का असर नहीं हो रहा था, वहीं जड़ी बूटी और योग ने जीवन रक्षा में अमूल्य योगदान दिया। गांधी जी को आधुनिक भारतीय चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक चिकित्सा का प्रथम चिकित्सक माना गया है। हमने अपने परंपरागत भोजन परम्परा को त्याग कर जंक फूड लेना शुरू किया उसका दुष्परिणाम आज सामने है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो एके त्यागी ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ शिवप्रसाद गुप्त की प्रतिमा पर अतिथियों द्वारा पुष्पार्चन एवं कलश जल भरण के साथ हुआ। विशिष्ट अतिथि कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेन्द्र, पूर्व कुलपति तथा निदेशक शेपा, प्रो पृथ्वीश नाग के साथ ही डा सुनीता पाण्डेय कुलसचिव, हरिश्चंद्र उप कुलसचिव, सन्तोष कुमार शर्मा वित्त अधिकारी, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविधालय के कुलसचिव राजेश कुमार, प्रो शंकर कुमार सान्याल उपस्थित रहे। स्वागत प्रो सुशील कुमार गौतम व धन्यवाद प्रो एनपी सिंह तथा संचालन डा आरती विश्वकर्मा ने किया। इसके बाद इंस्टीट्यूट ऑफ फाईन आर्ट्स एवं संस्कार भारती के संयुक्त तत्वावधान में गंगापुर के घमहापुर में आयोजित काशी अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी-2023 (पद्मश्री बाबा योगन्द्र जी को समर्पित) का उद्घाटन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया। साथ ही उन्होंने पुरस्कृत कलाकारों को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार प्रदान किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों एवं शिक्षकों को इस पुनीत कार्य में सहभागिता हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं भी दी। इस अवसर पर डॉ. अवधेश कुमार सिंह निदेशक आईएफए, डॉ अनिल कुमार सिंह ट्रस्टी आईएफए, सुनील कुमार विश्वकर्मा राष्ट्रीय चित्रकला संयोजक संस्कार भारती, संस्थान के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के साथ-साथ कला जगत के विशिष्ट कलाकार एवं संगीतकार प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।