देहरादून : भ्रष्टाचार के चार अलग-अलग मामलों में धामी सरकार ने पांच अधिकारियों पर शिकंजा कसा है। देहरादून के चर्चित कोचर कॉलोनी भ्रष्टाचार मामले में विजिलेंस की जांच के बाद दो लेखपालों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई है। इसके साथ ही उत्तराखंड परिवहन निगम के उप महाप्रबंधक (वित्त) के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में विजिलेंस को खुली जांच के आदेश दिए गए हैं। उधर, कुमाऊं के पंतनगर स्थित गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ भंडारक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में विजिलेंस को मुकदमा दर्ज करने को कहा गया है। लक्सर में घूस लेने के आरोपी लेखपाल के खिलाफ हुई चार्जशीट में भी मुकदमा चलाने की इजाजत शासन से मिली है।
देहरादून का बहुचर्चित कोचर कॉलोनी भ्रष्टाचार मामला 25 साल पहले शुरू हुआ था। पिछले साल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए थे। इसी क्रम में विजिलेंस की प्रारंभिक जांच में पता चला, होटल व्यवसायी एसपी कोचर और उनकी पत्नी कृष्णा कोचर ने जाखन में काश्तकारों से जमीन खरीदी थी। इस पर जाखन पश्चिम ऑफिसर्स कॉलोनी बनाई। इसके लिए अन्य जमीनों पर अवैध कब्जे किए। दंपती ने प्लॉट तो बेच दिए लेकिन प्लॉटिंग के वक्त जो रास्ता बनाया था वह दंपती के नाम पर ही रहा। आरोप है, बाद में कोचर दंपती ने रास्ते वाली जमीन को भी अलग-अलग व्यक्तियों को बेच दिया।
जब लोगों ने जमीन पर कब्जा मांगा तो दंपती ने रास्ते की जमीन के बजाय आसपास की सरकारी जमीन पर कब्जा दे दिया। इस दौरान दंपती ने रजिस्ट्री अपने स्वामित्व वाली जमीन की ही कराई। इस मामले में उनका साथ मौजा जाखन के तत्कालीन लेखपाल कुशाल सिंह राणा और एमडीडीए लेखपाल के राजेंद्र सिंह डबराल ने उनका साथ दिया। विजिलेंस डायरेक्टर अमित सिन्हा ने बताया, इस मामले में कोचर दंपती और कुशाल सिंह राणा व राजेंद्र डबराल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। दोनों लेखपाल सरकारी अधिकारी थे। लिहाजा उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी गई थी। सरकार ने अब अनुमति दे दी है।