Wednesday , July 19 2023

अनुवादक की चुनौती, मूल को अनुवाद में लाना है : प्रोफेसर अवधेश प्रधान

रविंद्र नाथ ठाकुर के तीन नाटक, भ्रमांत एवं एहसास की आवाज पुस्तक का हुआ लोकार्पण
प्रोफेसर अनुराधा बनर्जी, जवाहर लाल व्यग्र एवं हशम तुराबी की पुस्तक का हुआ लोकार्पण

वाराणसी : अशोक मिशन जननाट्य शाला, कादीपुर, शिवपुर में रविवार को तीन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। जिसमें रविंद्र नाथ ठाकुर के तीन नाटक अचलायतन ,मुक्त धारा एवं चंडालिका का अंग्रेज़ी अनुवाद प्रोफेसर अनुराधा बनर्जी ,भ्रमांत कहानी संग्रह जवाहर लाल व्यग्र एवं हशम तुराबी का ग़ज़ल संग्रह जिसे प्रोफेसर अनुराधा बनर्जी ने अंग्रेजी में अनुवाद किया है, शामिल है । इस अवसर पर बोलते हुए साहित्यकार एवं समीक्षक प्रोफेसर अवधेश प्रधान ने कहा – “अनुवाद की चुनौती मूल को अनुवाद में लाना है। मूल के आनंद को अनुवाद में शामिल करना है। अनुवाद, मूल की आत्मा के इतने करीब हो कि पाठक उसे पढ़ने को विवश हो। यह तीनों ही कार्य प्रोफेसर अनुराधा बनर्जी ने सहज एवं कुशलता से किया है।”

जवाहरलाल व्यग्र की पुस्तक ‘भ्रमांक’ की चर्चा करते हुए डॉ संजय श्रीवास्तव ने संग्रह की कहानियों की चर्चा की । हशम तुराबी की पुस्तक “एहसास की आवाज” की चर्चा करते हुए डॉ राम सुधार सिंह ने जहां गजलों के नियतार्थ की चर्चा की, वहीं प्रोफेसर अनुराधा बनर्जी के अनुवाद को भी सराहा। इस अवसर पर डा व्योमेश शुक्ला एवं विभाष भादुड़ी ने भी अपने विचार रखें । अतिथियों का स्वागत कुमारी धर्म मित्र अशोक एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रकाश उदय ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अरविंद कुमार सिंह ने किया । इस अवसर पर राम ललित सिंह, कामता प्रसाद , श्रीमती शोभना प्रधान डॉ जी एस मौर्य , संजय पटेल, नरेंद्र चौहान, उषा वर्मा एवं नीलू टंडन उपस्थित रहे।