Friday , October 6 2023

जूट निर्मित कालीनों को कृषि उत्पाद में दर्ज कर 10 फीसदी इन्सेंटिव की मांग

प्रभारी मंत्री दानिश आजाद अंसारी से मिला कालीन निर्यातकों का प्रतिनिधिमंडल

सुरेश गांधी

वाराणसी : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भदोही आगमन के मद्देनजर कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा करने पहुंचे प्रभारी मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बुधवार को कालीन निर्यातकों एवं प्रसाशनिक अधिकारियों से मिले। इस दौरान उन्होंने कालीन उद्यमियों की समस्याएं जानने के लिए ग्लोबल ओवरसीज, गोपीगंज के डायरेक्टर एवं प्रमुख कालीन निर्यातक संजय गुप्ता व बृजेश गुप्ता के कंपनी पहुंचे। वहां निर्यातकों ने उन्हें जूट निर्मित कालीनों को कृषि उत्पाद में दर्ज कराकर 10 फीसदी इंसेंटिव देने की मांग संबंधित पत्रक सौंपा। प्रभारी मंत्री ने निर्यातकों को आश्वस्त किया है कि उनकी डिमांड को वे मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री सहित संबंधित अधिकारियों के समक्ष रखेंगे और मांग को पूरा कराने का प्रयास करेंगे।

कालीन निर्यातक संजय गुप्ता ने बताया कि जुट से बने कालीन को कृषि उत्पाद में शामिल करने से निर्यात दर में और अधिक वृद्धि होगी। इस बाबत प्रधानमंत्री ने वाराणसी में अक्टूबर 2018 में आयोजित कारपेट एक्स्पों के डिजिटली उद्घाटन के मौके पर निर्यातकों से निर्यात दर में दूना वृद्धि का टारगेट दिया था। उनका दावा है कि यदि जूट को कि कृषि उत्पाद में शामिल करा दिया जाता है तो टारगेट को 2024 में 20 हजार करोड़ आसानी से पूरा किया जा सकता है। संजय गुप्ता ने प्रभारी मंत्री के वाले से बताया कि मुख्यमंत्री कालीन उद्योग के विकास के लिए काफी संजीदा है। कालीन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भाजपा सरकार ने कई कदम उठाएं भी है। कालीन से होने वाले आय से इस क्षेत्र का निरंतर विकास व रोजगार भी बढ़ रहा है। बुनकरों का पलायन रुका है। निर्यातकों के प्रयास का ही परिणाम है करोना महामारी के बावजूद 10,000 करोड़ से बढ़कर निर्यात दर 14,000 करोड़ तक पहुंच गया है।

संजय गुप्ता ने बताया कि कालीन नगरी भदोही एवं मिर्ज़ापुर से लगभग एक हजार करोड़ का जूट का कारपेट निर्यात होता है। जूट एक प्राकृतिक उत्पाद है और विदेशों में लोगों का झुकाव इस प्राकृतिक उत्पाद की तरफ बढ़ता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भारत के कालीनों का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धा चीन, नेपाल, पाकिस्तान और ईरान से है। चूकि इन प्रतिस्पर्धी देशों में जूट का उत्पादन नहीं होता है, इसलिए हमारे लिए एक एडवांटेज है और इससे हमें उम्मीद है कि इस उत्पाद से एक हजार करोड़ के व्यापार को बढ़ाकर दो हजार करोड़ तक आने वाले दो सालों में कर सकते हैं। परंतु हमें अपना टारगेट पाने के लिए मार्केटिंग के दायरे को बढ़ाना पड़ेगा। क्योंकि जूट निर्मित कालीन हाथ द्वारा बनाया जाता है। इसलिए इस समय इसकी डिमांड ज्यादा है। लेकिन इसमें हमारी पूंजी ज्यादा दिनों तक फंसे रहने से लागत अधिक पड़ती है। ऐसे में अगर सरकार इंसेंटिव देती है तो हम अपनी पूंजी उत्पादन पर इन्वेस्ट करने के बजाय मार्केटिंग पर खर्च करेंगे। इससे डिमांड में और वृद्धि होगी।

कालीन निर्यातक बृजेश गुप्ता ने प्रभारी मंत्री को अवगत कराया कि पहले 10 फीसदी का अतिरिक्त इन्सेंटिव मिलता था, जिससे हम अपने पूंजी का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा उत्पादन एवं इंसेंटिव का पैसा मार्केटिंग में लगाते थे। इससे हमारा व्यापार आज इस मुकाम पर पहुंचा है। परंतु बीते कुछ सालों से लगभग सारी इन्सेंटिव न के बराबर हो गई है। चूंकि जूट एक कृषि उत्पाद है जिसका कालीन बनाकर निर्यात किया जाता है, परन्तु इसे टैक्सटाईल में डालकर हमें इन्सेंटिव नहीं मिलता है। बकि अमेरिका जैसे देश भी जब भारत को अपना कृषि उत्पाद निर्यात करते हैं, तो उनके किसानो को 5 फीसद इन्सेंटिव देते है। इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी, ज्ञानपुर विधायक विपुल दुबे, संतोष गुप्ता आदि मौजूद रहे।