दिल्ली से सटे गाजियाबाद NH 24 पर एक महिला ऐसी हैं जिन्होंने अपनी बेटी की मौत के बाद लोगों को यातायात का पाठ पढ़ाना शुरू कर दिया। वह रोजना सड़क पर खड़े होकर यातायात संचालित करती हैं।
डोरिस फ्रांसिस(57) ने बताया कि 2009 में उनकी बेटी की मौत सड़क दुर्घटना में हो गई थी। वह अपनी बेटी से बहुत प्यार करती थी। उसकी मौत का उन्हें गहरा सदमा लगा। बेटी के जाने के बाद कई दिनों तक घर में खुद को कैद कर बैठी रही। इसके बाद उनके मन में ख्याल आया कि मेरी बेटी की मौत से मैं इतनी परेशान हूं, तो दुनिया में ऐसी न जाने कितनी मां हैं जो अपने बच्चों को सुरक्षित लौटने का इंतजार करती हैं। ऐसे में वह अपने घर से निकल पड़ी और यातायात संचालित करना शुरू कर दिया।
शुरू-शुरू में लोगों ने उनका विरोध भी किया। मगर वह नहीं डरी और अपना काम जारी रखा। अभी दो माह पहले वह कैंसर के चलते AIIMS अस्पताल में भर्ती हुई थी। अब डोरिस फ्रांसिस घर पर हैं। उनका कहना है ठीक होने के बाद दोबारा यातायात संचालित करेंगी।
जिस जगह हुई बेटी की मौत, दिन भर खड़ी होकर करती है यातायात संचालित
वर्ष 2009 में NH 24 पर डॉरिस की बेटी को तेज रफ्तार से आती एक कार ने टक्कर मार दी थी, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। डॉरिस को लगा कि ट्रैफिक नियमों का अगर सही पालन हो तो सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। उसके बाद वह खुद घर के पास एनएच 24 पर ट्रैफिक का संचालन करने लगीं। फ्रांसिस बताती हैं, “मुझे ये शुरू किए हुए साढ़े सात साल से अधिक हो गए हैं। मेरा मिशन लोगों की जिंदगियां बचाना है ताकि कोई मां अपनी बेटी, पति या बेटे को न गंवाए और मैं यही कर रही हूं। मैं तब तक ये करती रहूँगी जब तक मेरे शरीर में ताक़त रहेगी।”
मां के इलाज के लिए बेटे ने बेची बाइक :
आपको बता दें डॉरिस को उनके साहसिक काम के लिए बहुत से पुरस्कारों से नवाज़ा गया है। बेटा ऑटो चलता है तो बड़ी मुश्किल से घर चलता है। डॉरिस ने 7 साल सड़क पर दूसरों के लिए खड़े होकर प्रदूषण की मार झेली। डॉक्टरों की मानें तो उनके कैंसर की वजह प्रदूषण नहीं है पर उसको बढ़ाने में एक कारक ज़रूर है। नौबत घर बेचने तक आ गई थी।
बेटे ने मां के इलाज के लिए अपनी नई मोटरसाइकिल 20,000 में बेच दी है, लेकिन रोज गुजरने वाले लोग डॉरिस की जगह खड़े ट्रैफिक पुलिस वाले से ज़रूर पूछते हैं, अरे वह मैडम कहां गईं?