इंदौर। युवा फोटोग्राफरों में वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के प्रति दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ के मौके पर हमने बात की शहर के कुछ ऐसे वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स से जो एक बेहतरीन क्लिक की जिद में जुनून की हद पार कर जाते हैं। हालांकि इस दौरान उन्हें कुछ रिस्क भी उठानी पड़ती है मगर जो कुछ कैमरे में कैप्चर होता है उसे देखकर दोबारा ऐसी क्लिक करने का हौसला मिल जाता है।
शहर के वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर आसपास के क्षेत्रों से लेकर बांधवगढ़ और कान्हा नेशनल पार्क तक फोटोग्राफी के लिए जा रहे हैं। कुछ फोटोग्राफर बेहतर फोटोग्राफ के लिए अफ्रीकन सफारी तक पहुंच रहे हैं। फोटोग्राफर आलोक दुबे बताते हैं कि वो हर साल अमूमन दो बार वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के लिए अफ्रीका जाते हैं। मगर रोंगटे खड़े कर देना वाला वाकया 2014 में नागपुर के पास ताड़ोबा जंगल में हुआ। वो एक बैठे हुए टाइगर को करीब 15 फुट दूरी से शूट कर रहे थे।
धीरे-धीरे जब वो करीब 10 फुट पास पहुंच गए तो टाइगर खड़ा होकर इस तरह गुर्राया मानो कह रहा हो ‘अपनी हद में रहो”। अब आलोक ने वापस जिप्सी में पहुंचने में ही भलाई समझी। मगर टाइगर उनके पीछे-पीछे जिप्सी तक आ गया। करीब 15-20 सेकंड तक आई कांटैक्ट के बाद वापस जाते-जाते उसने जिप्सी से बदन कुछ इस तरह खुजाया कि लगा भूचाल आ गया। आलोक के साथ गाइड और ड्राइवर भी घबरा गए। इसके बाद भी बाघ करीब एक घंटे तक उनका रास्ता रोके जिप्सी से कुछ ही दूरी पर बैठा रहा।
कैमरे के साथ किताबें भी पढ़ें
12 साल से वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी कर रहे फैजान खान कहते हैं कि नेशनल पार्क के एकांत में हिंसक जानवरों के फोटो लेते समय सबसे ज्यादा खतरा शटर की आवाज होने के दौरान होता है। उस वक्त बेहद चौकन्ना रहना पड़ता है वरना खतरा हो सकता है। फोटोग्राफरों को कैमरे के क्लिक की प्रैक्टिस के साथ जंगली जानवरों से जुड़ी किताबें भी पढ़ते रहना चाहिए। इससे जानवरों की आदतें समझने में आसानी होगी और इमर्जेंसी में सही फैसले ले सकेंगे।
लाइट कलर की ड्रेस पहनें फोटोग्राफर
फोटोग्राफर मनोज चौधरी कहते हैं कि वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के दौरान ड्रेस का चुनाव बेहद सावधानी से करें। गहरा लाल, नीला, पीला, गुलाबी जैसे चटक रंगों की पोशाक नहीं पहनें क्योंकि ये रंग प्राकृतिक परिवेश में घुलमिल नहीं पाते हैं। इससे जंगली जानवर आपकी ओर अनावश्यक रूप से आकर्षित होते हैं।
मनोज के मुताबिक इंदौर में सिरपुर और यशवंत सागर में पक्षियों के अच्छे फोटो हो जाते हैं वहीं कान्हा किसली और बांधवगढ़ भी फोटोग्राफी के लिहाज से शानदार हैं। विंध्याचल की पहाड़ियों में काफी जंगल हैं, वहां भी वाइल्ड लाइफ फोटोशूट की सुविधाएं हैं। वैसे शहर के वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स की फेवरेट प्लेस अफ्रीकन सफारी है। परिंदों के एक्सपर्ट फोटोग्राफर शीतल सैनी बताते हैं कि हर पक्षी एक तय दूरी तक ही करीब आने देता है। इनके फोटो करते समय इस बात का खास ध्यान रखना पड़ता है।
कैमरे भी होते हैं खास
वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के लिए शहर के फोटोग्राफर जिस तरह के कैमरे इस्तेमाल कर रहे हैं उनसे एक सेकंड में 8 से 16 फ्रेम्स तक कैप्चर की जा सकती हैं। क्लिक दबाए रखने पर एक बार में 75 से 125 फ्रेम्स तक भी खींची जा सकती हैं। इतनी तेजी से लिए जा रहे फोटोज को सेव करने के लिए 32 से 128 जीबी तक हाई स्पीड मेमोरी कार्ड कैमरे में लगाई जा रही हैं। फोटोग्राफर्स 150 से 600 एमएम के लैंस का उपयोग कर रहे हैं।
इसलिए जाते हैं अफ्रीकन सफारी
एक्सपर्ट्स के मुताबिक हमारे यहां राष्ट्रीय उद्यानों में फोटोग्राफी के लिए 45 हजार रु. प्रतिदिन के हिसाब से जीप मिलती है और एक बार के टूर में कम से कम अच्छी फोटोग्राफ्स के लिए एक से दो सप्ताह तो लग ही जाते हैं। पूरे टूर में करीब 5 लाख का खर्च आता है। जबकि इससे कम खर्च में अफ्रीका में 8 दिन का टूर हो जाता है। डोमेस्टिक टूर में सुविधाओं का भी अभाव है और 10 से 30 परसेंट भीतर जाने की ही परमीशन मिलती है। जबकि विदेशों में वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स को कई तरह सुविधाएं, डिस्काउंट और एक्सपोजर दिया जाता है।
यहां करें वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी
कजलीगढ़, खाटपिपल्या, कान्हा किसली, सिरपुर तालाब, यशवंत सागर, बुराना खेड़ी, बेटमा तालाब, चिलका लेक भुवनेश्वर, बांधवगढ़, कान्हा किसली, रणथम्भौर, ताल छापर, भरतपुर आदि।
बदल रहा लोगों का नजरिया
रहवासी इलाकों में बार-बार दिख रहे जानवर हमारी सुरक्षा की दृष्टि से बेशक परेशानी का सबब हैं। लेकिन इससे एक बार जाहिर हो रही है कि उनकी संख्या बढ़ रही है। लोग उन्हें मारने के बजाय भगाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे लगता है कि लोग जागरुक हो रहे हैं और उनका नजरिया बदल रहा है।