सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एेतिहासिक फैसला लेते हुए कहा है कि धर्म के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी होगा। 7 जजों की सविधांन पीठ ने यह फैसला हिंदुत्व से जुड़े एक केस की सुनवाई के दौरान लिया है। फैसले में कहा गया कि प्रत्याशी या उसके समर्थक धर्म, जाती, समुदाय और भाषा के नाम पर वोट मांगते हैं तो यह गैरकानूनी होगा। कोर्ट ने कहा कि चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष पद्धति है। माना जा रहा है कि आने वाले 5 राज्यों के चुनावों पर इस फैसले का असर पड़ेगा।
उच्चतम न्यायालय ने बहुमत के आधार पर अपने फैसले में कहा कि धर्म के आधार पर वोट देने की कोई भी अपील चुनावी कानूनों के तहत भ्रष्ट आचरण के बराबर है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि भगवान और मनुष्य के बीच का रिश्ता व्यक्तिगत मामला है। कोई भी सरकार किसी एक धर्म के साथ विशेष व्यवहार नहीं कर सकती, एक धर्म विशेष के साथ खुद को नहीं जोड़ सकती।
शीर्ष न्यायालय में बहुमत का विचार प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर, न्यायमूर्ति एल एन राव, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे का था, जबकि अल्पमत का विचार न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति ए के गोयल और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ का था ।