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योगी कैबिनेट का फैसला : शहरों में शामिल गांवों में विकास होने तक नहीं पड़ेगा हाउस टैक्स

यूपी सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले शहरी सीमा के गांवों में मकान बनाकर रहने वालों को बड़ी सौगात दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में शहरों में शामिल किए गए गांवों में विकास होने तक हाउस टैक्स न लिए जाने का फैसला किया गया। इन क्षेत्रों में रहने वालों से टैक्स वसूली के संबंध में कोई नोटिस भी नहीं दिया जाएगा। नगर विकास विभाग राहत देने के संबंध में जल्द ही शासनादेश जारी करेगा।प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने राज्य सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि इससे प्रदेश के लाखों लोगों को सीधा फायदा होगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के नौ नगर निगमों का सीमा विस्तार किया गया है। लखनऊ में 88 गांव, वाराणसी 78 गांव, गोरखपुर 31 गांव, प्रयागराज 207 गांव, फिरोजाबाद श्रीराम कालोनी व अयोध्या में 41 गांव शहरी सीमा में शामिल किए गए हैं। इसके साथ ही आगरा, शाहजहांपुर व मथुरा-वृंदावन नगर निगम का सीमा विस्तार किया गया है। इसके अलावा कोंच, खलीलाबाद, महराजगंज, जलालपुर, बेल्हा, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, हाथरस, मंझनपुर व सिसवा बाजार पालिका परिषद का सीमा विस्तार के साथ प्रदेश में कुल 56 नई नगर पंचयतें बनाई गई हैं। इनमें लाखों परिवार मकान बनाकर रहते हैं।

शहरी सीमा क्षेत्र में शामिल होने वाले गांवों में बने मकानों, दुकानों और प्रतिष्ठानों से निकाय हाउस टैक्स लेने की तैयारी कर रहे थे। मगर, इनमें अभी तक विकास शुरू नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई सोमवार को कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई। अधिकतर मंत्रियों ने तर्क रखा कि विकास होने तक हाउस टैक्स की वसूली स्थगित रखी जाए। मुख्यमंत्री ने इसके आधार पर यह फैसला किया कि विकास होने तक किसी प्रकार का कोई टैक्स न तो लिया जाएगा और न ही लोगों को इस संबंध में कोई नोटिस दिया जाएगा।

विभागों के वित्तीय अधिकार में इजाफा

उत्तर प्रदेश सरकार ने किसी जर्जर व अनुपयोगी भवन को ध्वस्त करने या बेचने के मामले में विभाग के प्रमुख व प्रशासकीय विभाग के लिये लागत सीमा बढ़ा दी है। यह निर्णय कैबिनट ने लिया। विभागाध्यक्ष अब 1 लाख के कीमत के बजाय 5 लाख रुपए की सीमा तक के भवन बेच या गिरा सकते हैं। प्रशासकीय विभागों के लिये यह सीमा 2 लाख से बढ़ा कर 10 लाख कर दी गई है।

15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों से बढ़े दर पर कर्ज ले सकेगी सरकार

प्रदेश कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध अधिनियम (यथा संशोधित) 2004 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब राज्य सरकार 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के मुताबिक 2021-2026 के लिए निर्धारित दर से कर्ज ले सकेगी। यह दर पहले साल चार फीसदी तथा इसके बाद के तीन सालों में साढ़े तीन फीसदी का है। 

बता दें नियम यह रहा है कि राज्य सरकारें कुल सकल राज्य घरेलू उत्पाद का अधिकतम तीन फीसदी तक ही कर्ज ले सकती थी। कोरोना के कारण इसमें केंद्र सरकार ने कुछ छूट दी थी। कैबिनेट के इस फैसले से 5वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के मुताबिक अब राज्य सरकार कर्ज ले सकेगी। इसके साथ ही कैबिनेट ने 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक का प्रतिवेदन जनरल एवं सोशल सेक्टर पर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिवेदन संख्या दो वर्ष 2021 को विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को स्वीकृत किया है। 

जल निगम के 1238 कर्मी निकायों में होंगे समायोजित

जल निगम के सरप्लस 1238 कर्मियों को निकायों में समायोजित किया जाएगा। इसके साथ ही मृतक आश्रित कोटे के 263 कर्मियों को निकायों में नौकरी दी जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। इसके लिए उत्तर प्रदेश जल संभरण तथा सीवर व्यवस्था अधिनियम 1975 संशोधन संबंधी प्रारूप को मंजूरी दी गई। विधानमंडल से पास होने के बाद जल निगम सिर्फ शहरी क्षेत्र में काम करेगा और ग्रामीण क्षेत्र का काम जल शक्ति विभाग करेगा।

जल निगम की आर्थिक स्थिति और स्थानीय निकायों में कार्मिकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जल निगम के सरप्लस कार्मिकों को निकायों में प्रतिनियुक्ति के आधार पर रखा जाएगा। इनको निकायों में उनके समकक्ष पदों पर रखा जाएगा। इनको प्रतिनियुक्ति विषयक सुसंगत शासनादेशों में निर्धारित आयु सीमा और प्रतिनियुक्ति की अवधि की सीमा से मुक्त रखा जाएगा। यह कार्मिक नागर निकायों में आवश्यकतानुसार सेवानिवृत्त होने तक काम कर सकेंगे।