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Bike Boat Case: महाठग ही नहीं अफसर, नेता और अभिनेता पर भी कसेगा शिकंजा, अब तक 26 आरोपी गिरफ्तार

कोट गांव में बाइक बोट कंपनी का दफ्तर खोलकर मुख्य आरोपी बसपा के पूर्व लोकसभा प्रभारी संजय भाटी ने साथियों संग मिलकर हजारों लोगों से अरबों रुपये की ठगी की थी। पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए अमर उजाला ने शुरू से अभियान चलाया था। फर्जीवाड़े से जुड़े समाचार लगातार प्रकाशित करने का अभियान रंग लाया। 

अब सीबीआई के केस दर्ज करने के बाद एक तरफ पीड़ितों में खुशी की लहर है। खास बात यह है कि इस केस में पीड़ित लंबे समय से कुछ अफसरों, नेताओं व अभिनेताओं पर फर्जीवाड़े में शामिल होने या फिर आरोपियों को बचाने के आरोप लगाए। कुछ के नाम एफआईआर तो कुछ के कोर्ट में की गई शिकायतों में मौजूद हैं लेकिन अब तक कई जांच एजेंसियां भी इन तक नहीं पहुंच पाईं थीं। 

एक जून 2019 से कोर्ट गांव स्थित दफ्तर पर धरना दे रहे मुन्ना बालियान का कहना है कि सीबीआई के अफसर लंबे समय से गुपचुप मामले की जांच में जुटे थे। कुछ अफसर उनके पास भी आए थे और लेकिन उन्होंने अपने विभाग का नाम नहीं बताया था। दादरी के कोट गांव पर गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स का दफ्तर बनाकर देश भर के निवेशकों से धन दोगुना करने के नाम पर ठगी की शुरुआत की गई थी। आरोपी सोशल मीडिया पर कंपनी व योजना का प्रचार करते रहे।

एक साल में धन दोगुना करने के लालच के अलावा कंपनी के अधिकांश शहरों, जिलों में दफ्तर खुलने के दौरान अधिकारियों, नेताओं और अभिनेताओं की मौजूदगी लोगों में विश्वास पैदा करती थी। इनकी मौजूदगी के कारण ही अधिकांश निवेशकों ने कंपनी में धन निवेश किया लेकिन अब तक की जांच के बाद भी एक भी अफसर और बड़े नेता पर ऐसी कार्रवाई नहीं हुई है। इसके चलते पीड़ित लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। आरोपियों न केवल रुपये ही नहीं ठगे बल्कि रक्तदान के नाम पर 62100 यूनिट खून निकालकर बेच दिया। 
 
सांठ-गांठ कराने वाले सफेदपोशों पर कसेगा शिकंजा 
कई ऐसे भी कई आरोपी है जिन्होंने फर्जीवाड़े की रकम को ठिकाने लगाने, निवेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जांच एजेंसियां इन आरोपियों तक नहीं पहुंच पाईं हैं। इनमें सबसे अधिक आरोपी गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर और मेरठ के हैं। इनमें से कई सफेदपोश भी हैं। 

पत्नी और निजी सचिव तक भी नहीं पहुंच पाईं जांच एजेंसियां 
मुख्यारोपी संजय भाटी की पत्नी दीप्ति बहल, निजी सचिव रीता चौधरी, लोकेंद्र, बिजेंद्र हुड्डा, भूदेव आदि आरोपियों तक जांच एजेंसियां नहीं पहुंच पाईं हैं। जबकि फर्जीवाड़े की रकम खपाने में इन आरोपियों की बड़ी भूमिका बताई गई है। 

26 आरोपी गिरफ्तार, गैंगस्टर लगा और संपत्ति जब्त की गई
फर्जीवाड़ा गौतमबुद्घ नगर में हुआ लेकिन पुलिस केस दर्ज करने के बजाय पीड़ितों को टरकाती रही। जयपुर निवासी सुनील मीणा की शिकायत पर इस मामले में 12 जनवरी 2019 को पहला केस दर्ज किया गया। इसके बाद एक के बाद एक पीड़ितों ने केस दर्ज कराए। फिलहाल दादरी कोतवाली में दर्ज 116 केस की जांच आर्थिक अपराध शाखा मेरठ कर रही है। इसके अलावा ईओडब्ल्यू व देश की अन्य एजेंसियां भी जांच में जुटी है।

26 आरोपी गिरफ्तार कर जेल भेजे गए। अधिकांश आरोपियों पर गैंगस्टर की कार्रवाई की गई है। आरोपियों की 200 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। जो फर्जीवाड़े का पांच फीसदी भी नहीं है। निवेशकों का कहना है जांच एजेंसियां अब तक यह स्पष्ट नहीं कर पाईं कि फर्जीवाड़ा कुल कितने रुपये का है और कुल कितने पीड़ित आरोपियों के शिकार हुए हैं। लेकिन अब उन्हें न्याय की आस जगी है। अब आरोपियों की विदेश में जमा संपत्ति पर भी शिकंजा कस सकता है।

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