प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को देश में गंगा किनारे बसा सबसे स्वच्छ शहर का खिताब मिला है। यह लगातार दूसरी बार सबसे स्वच्छ शहर चुना गया है। इससे पहले भी केंद्र सरकार के वार्षिक सर्वेक्षण 2020 के अनुसार गंगा किनारे बसे सबसे स्वच्छ शहरों में वाराणसी शीर्ष स्थान पर था। प्राचीन, पवित्र शहर वाराणसी को गंगा नदी किनारे सबसे साफ शहर बनाने में प्रधानमंत्री का सबसे बड़ा योगदान है।
पीएम मोदी ने अस्सी घाट से स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। जिसके बाद से गंगा घाटों की सफाई दिन दूनी-रात चौगुनी रफ्तार से बेहतर होती चली गई। इसके चलते बनारस को यह पुरस्कार मिला है।
राष्ट्रपति देंगे मेडल
गार्बेज फ्री सिटी और सफाई मित्र चैलेंज की श्रेणी में उल्लेखनीय योगदान के लिए नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार को वाराणसी नगर निगम को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों से पुरस्कार लेने के लिए महापौर मृदुला जायसवाल नई दिल्ली पहुंच गई हैं।
वाराणसी नगर निगम का प्रदर्शन बेहतर
अधिशासी अभियंता अजय कुमार ने बताया कि पुर्नउपयोग में खाद, कोयला और बिजली बनाने की प्रक्रिया है और जिन कचरे का पुर्नउपयोग नहीं हो पाए, उसका विज्ञान के तहत पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना निपटारा किया जाता है। दोनों ही क्षेत्रों में वाराणसी नगर निगम का प्रदर्शन बेहतर है।
करसड़ा प्लांट में कचरे से खाद, जमीन के गड्ढे भरने के लिए अवशेष तैयार किया जाता है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए आबादी से दूर बने इस प्लांट में हरियाली की पर्याप्त व्यवस्था है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनपी सिंह ने बताया कि स्काच कंपनी ने अप्रैल में सर्वे किया था। कचरा प्रबंधन के साथ ही भविष्य की योजनाओं के आंकलन पर हुई प्रतियोगिता में वारासणी नगर निगम ने सेमीफाइनल जीता है। दिसंबर में फाइनल में भी हमारी जीत होगी।