सचिन ने आगे कहा, ‘मैं जानता था कि जिम वर्कआउट मेरे क्रिकेट कैरियर के लिए कितना महत्वपूर्ण है, जो काम मैं पिछले 24 साल से हर रोज करता आ रहा था, लेकिन उस सुबह मेरी कुछ करने की इच्छा नहीं हो रही थी, क्यों? क्या यह इशारा था कि मुझे अब रुक जाना चाहिए। इशारा था कि जो खेल मुझे इतना प्यारा है, वह अब मेरे रूटीन का हिस्सा नहीं रहेगा।’
200 टेस्ट खेलने वाले सचिन ने आगे लिखा, ‘मेरे क्रिकेट हीरो सुनील गावस्कर ने एक बार मुझे बताया था कि संन्यास लेने का उनका मन तब बना जब वह एक बार घड़ी को देख रहे थे कि लंच और चायकाल के बीच कितना समय बचा है। मुझे एकाएक समझ आया कि उनके कहने का क्या मतलब था। मेरा दिल और शरीर भी मुझे यही इशारा कर रहा था।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे विंबलडन में कुछ वर्ष पहले बिली जीन किंग ने कहा था कि यह आवाज आपके अंतर्मन से आएगी कि आपको संन्यास कब लेना है, न कि दुनिया तय करेगी। मैंने खेल छोड़ने के बाद की जिंदगी के बारे में सोचा और फिर अपने परिवार और करीबी दोस्तों से इस बारे में चर्चा की। मेरी आंखें के सामने इतने वर्षों के दौरान जीत, हार, चुनौतियां, शोर, जश्न और चुप्पी सब छा गए।’
43 साल के सचिन ने कहा कि 2011 में विश्वकप जीतना उनके लिए सपने के सच होने जैसा था। मेरी पहली पारी अपने सपनों को पूरे करने के लिए थी और दूसरी पारी आत्मसंतुष्टि के लिए।