केंद्र सरकार की आय की स्वैच्छिक घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत 13 हजार करोड़ रुपये घोषित करने वाले अहमदाबाद के एक कारोबारी आयकर विभाग की जांच के घेरे में हैं क्योंकि वो इस आय पर टैक्स देना भूल गए। केंद्र सरकार की इस योजना के तहत 30 सितंबर तक सरकार को 45 प्रतिशत टैक्स देकर अघोषित आय घोषित की जा सकती थी।
इस योजना के तहत अघोषित आय पर टैक्स चुकाने के बाद आय की स्वैच्छिक करने वाले पर आयकर विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होनी थी। महेश शाह नाम के इस कारोबारी ने योजना के आखिरी दिन 13 हजार करोड़ रुपये अघोषित आय की जानकारी आयकर विभाग को दी थी।
आयकर अधिकारियों के अनुसार महेश शाह को आय की स्वैच्छिक घोषणा के तहत घोषित आय पर दिए जाने वाले टैक्स की 975 करोड़ रुपये की पहली किश्त 30 नवंबर तक चुकानी थी लेकिन वो इससे चूक गए। चूंकि शाह ने टैक्स की पहली किश्त नहीं चुकाई है इसलिए अब उनके द्वारा घोषित 13 हजार करोड़ रुपये “कालाधन” हो गया है।
जब आयकर विभाग ने जांच की तो पाया कि शाह ने अहमदाबाद के कई बड़े कारोबारियों के कालेधन को अपना बताकर आय की स्वैच्छिक घोषणा के तहत घोषित किया था। आयकर विभाग महेश शाह के अकाउंटेट के कार्यालय की तलाशी ली है। माना जा रहा है कि आयकर विभाग को जो दस्तावेज मिले हैं उनसे इस मामले में कुछ और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को 500 और 1000 के नोट उसी रात 12 बजे से बंद करने की घोषणा की थी। घोषणा के अनुसार बंद किए गए नोट 30 दिसंबर तक बैंकों में जमा किए जा सकते हैं। सरकार की घोषणा के अनुसार 30 दिसंबर तक जो लोग बंद किए जा चुके नोटों में अपनी अघोषित आय स्वैच्छिक रूप से घोषित कर देंगे उन पर करीब 50 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा। जिन लोगों की अघोषित आय आयकर विभाग की जांच में सामने आएगी उन पर करीब 75 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा और अगर विभाग चाहेगा तो उस पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त जुर्माना भी लगा सकता है।