यूपी में विधानसभा चुनावों के परिणाम आने में बेशक अब कुछ ही घंटों का समय बाकी रह गया हो लेकिन इससे पहले आए एग्जिट पोल के नतीजों ने राजनीतिक दलों में बेचैनी पैदा कर दी है। एग्जिट पोल के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा फायदे में भाजपा गठबंधन दिख रहा है तो मायावती की बसपा सबसे ज्यादा घाटे में जाती दिखाई दे रही है।
वहीं बड़ी उम्मीदों के साथ किया गए सपा-कांग्रेस गठबंधन के दूसरे नंबर पर रहने के संकेत मिल रहे हैं, साफ है कि यूपी को अखिलेश-राहुल का ये साथ ज्यादा पसंद नहीं आया। वहीं सबसे बड़ी पार्टी के रूप में आती दिख रही भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री पद के चेहरे की है। क्योंकि चुनावों में तो पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा आगे कर मैदान में कूद पड़ी थी लेकिन सरकार बनाने के लिए ऐसे चेहरे की जरूरत होगी जो जनता की उम्मीदों और पार्टी की अपेक्षाओं पर खरा उतर सके।
ये ही एक ऐसा मुद्दा है जिसको लेकर दूसरी पार्टियां भाजपा को घेरती रही हैं ऐसे में अभी से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इस मुद्दे पर माथापच्ची शुरू कर दी होगी। ऐसे में हम आपको रूबरू करा रहे हैं उन सात संभावित चेहरों से जिनमें से भाजपा अपने मुख्यमंत्री पद का चेहरा चुन सकती है।
लखनऊ के मेयर डॉ दिनेश शर्मा
मुख्यमंत्री पद के संभावित चेहरों में सबसे मजबूत दावा है लखनऊ के मेयर और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा का। पार्टी में लो प्रोफाइल रहने वाले दिनेश शर्मा की गिनती प्रधानमंत्री मोदी के करीबी नेताओं में होती है। मोदी से नजदीकियों के कारण ही राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें अपनी टीम में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद दिया था।
पार्टी में भी उनकी पाक साफ छवि है और संघ के नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं। हालांकि लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दिनेश शर्मा खुद को सीएम पद की रेस में नहीं मानते, लेकिन उनकी काबिलियत उन्हें दूसरे दावेदारों में सबसे आगे खड़ा करती हैं।
रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा
गाजीपुर से सांसद रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा भी इस पद के तगड़े दावेदार हैं। देश के शीर्ष शिक्षण संस्थानों में शुमार बीएचयू से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक करने वाले मनोज सिन्हा भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की गुडलिस्ट में हैं। उच्च शिक्षित नाम मनोज सिन्हा का नाम मोदी सरकार के काबिल मंत्रियों में शुमार किया जाता है।
बीएचयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे मनोज सिन्हा पहली बार 1996 में सांसद बने उसके बाद 1999 में दोबारा संसद के लिए चुने गए। 13वीं लोकसभा में उनका नाम सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले सांसद के तौर पर गिना गया था। वह लोकसभा की विभिन्न समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं।
केंद्रीय राज्यमंत्री महेश शर्मा
नोएडा से सांसद और मोदी सरकार में स्वतंत्र प्रभार के पर्यटन मंत्री डा. महेश शर्मा संघ के पुराने कार्यकर्ता हैं। पेशे से डॉक्टर और कैलाश हॉस्पिटल चेन के मालिक महेश शर्मा पूर्व में नोएडा से ही विधायक रहे हैं। उनकी काबिलियत को देखते हुए मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह दी थी।
साफ सुथरी छवि वाले शर्मा का नाम कई बार इस पद के लिए चल चुका है लेकिन हर बार वह खुद ही इससे इंकार करते रहे हैं। उन्हें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का भी करीबी माना जाता है। ऐसे में पार्टी ब्राह्मण चेहरे के रूप में भी उन पर दांव लगा सकती है।
प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या
पार्टी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या भी इस पद के बड़े दावेदार हो सकते हैं। कुछ समय से पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्षों को मुख्यमंत्री न बनाने की परंपरा को तोड़ा है। महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष रहे देवेन्द्र फडनवीस और गुजरात प्रदेश अध्यक्ष रहे विजय रुपाणी आज अपने अपने राज्यों में मुख्यमंत्री के पद पर हैं।
ऐसे में केशव प्रसाद मौर्या की दावेदार भी इस पद पर सबसे मजबूत मानी जा रही है। इसके अलावा पिछड़े चेहरे के रूप में भी पार्टी उन्हें आगे कर सकती है। जिससे उस पर से उच्च जातियों की पार्टी होने का ठप्पा भी हट सकता है।
प्रदेश महामंत्री स्वतंत्र देव सिंह
भाजपा के प्रदेश महामंत्री स्वतंत्र देव सिंह की गिनती पार्टी के कद्दावर नेताओं में होती है। पार्टी के तमाम बड़े फैसलों में स्वतंत्र देव सिंह की खास भूमिका रहती है। प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी की तमाम रैलियों और बड़े कार्यक्रमों के मामले में भी स्वतंत्र देव सिंह पर अहम जिम्मेदारियां रहती हैं।
स्वतंत्र देव खामोशी से अपने काम को अंजाम देते हैं, इसलिए शीर्ष नेतृत्व भी इनकी तारीफ करने से नहीं चूकता। देव को प्रधानमंत्री मोदी का भी काफी नजदीकी माना जाता है। बताया जाता है कि मोदी जब यूपी में संगठन में अहम जिम्मेदारी निभा रहे तबसे ही स्वतंत्र देव सिंह से उनके अच्छे संबंध हैं। ऐसे में यह नजदीकी भी उनके लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकती है।
राष्ट्रीय महामंत्री और प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा
मथुरा से चुनाव लड़ रहे पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री और प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा का नाम भी छुपे रुस्तम के तौर पर सामने आ सकता है। श्रीकांत अभी तक संगठन में ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देखते रहें हैं, लेकिन इस बीच उन्होंने काफी तेजी से अपना कद बढ़ाया है। जिसके बाद पार्टी ने अचानक उन्हें यूपी के विधानसभा चुनावों में उतार दिया।
सीएम पद पर श्रीकांत शर्मा की दावेदारी इसलिए भी मजबूत मानी जा रही है कि मथुरा में चुनावी रैली के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी खुद इस बात के संकेत दे दिए थे। शाह ने साफ कहा था कि पार्टी बहुमत में आती है तो इस जिले से जीतने वाले उम्मीवारों में से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।
राजनाथ सिंह
पार्टी में तमाम बड़ी जिम्मेदारियां निभा चुके केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी इस पद के बड़े दावेदार हैं। राजनाथ सिंह पूर्व में भी इस पद पर बैठ चुके हैं और दबी छुपी जुबान में उन्हें खुद भी इसका ख्वाहिशमंद माना जाता रहा है।
हालांकि सिंह खुद इस बात से हमेशा इंकार करते रहे हैं कि उनकी यूपी के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने की कोई इच्छा है, वैसे भी वो पार्टी और सरकार में नंबर दो की हैसियत में हैं।लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए ये कोई नहीं जानता।वैसे भी राजनाथ सिंह ये बात अच्छी तरह समझते हैं कि मुख्यमंत्री पद पर रहकर ही अच्छा काम करके वह भविष्य में नरेन्द्र मोदी के कद को चुनौती दे सकते हैं, जिन्होंने खुद यह काम गुजरात के मुख्यमंत्री रहते किया था।