Friday , January 27 2023

आजम का बयान यूपी सरकार का सामूहिक उत्तरदायित्वः राज्यपाल

राज्यपाल राम नाईक ने आजम के बयान को अमर्यादित और दायित्वहीन की संज्ञा दी और उसे सामूहिक उत्तरादायित्व से जोड़कर मुख्यमंत्री से संज्ञान लेने को कहा है।15_12_2016-ramnaik

लखनऊ (जेएनएन) उत्तर प्रदेश राज्यपाल राम नाईक ने हाल ही में सपा सरकार के मंत्री आजम खां के बयान को अमर्यादित और दायित्वहीन की संज्ञा दी और उनके बयान को मंत्रिमंडल का सामूहिक उत्तरादायित्व से जोड़ते हुए मुख्यमंत्री से उसका तत्काल संज्ञान लेने को कहा है।

दरअसल, लंबे समय से आजम की बयानबाजी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए परेशानी का सबब बनी है। कल शाम अखिलेश को भेजे दो पन्ने के पत्र में रामनाईक ने लिखा है कि आजम ने नौ दिसंबर को सार्वजनिक रूप से कहा है कि राजभवन में अपराधियों, डकैतों, गुंडों व हिस्ट्रीशीटरों को संरक्षण व आश्रय दिया जा रहा है। उन्होंने यह दोषारोपण कांग्रेस की रामपुर इकाई के जिला महामंत्री फैसल खान लाला द्वारा राजभवन में मुझसे की गई मुलाकात का उल्लेख करते हुए कही है। सूत्रों के मुताबिक रामनाईक पत्र में लिखते हैं कि राजभवन में मुझसे मिलने केलिए सामान्य नागरिक, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि समय-समय पर आते रहते हैं। इसी क्रम में फैसल की मुझसे की गई मुलाकात सामान्य शिष्टता, मेरे संवैधानिक तथा पदीय दायित्वों के विपरीत होना कदापि नहीं कही जा सकती है। लोगों को सुनना और यदि उनके द्वारा मुझे कोई प्रत्यावेदन दिया जाता है तो उस पर कानून के मुताबिक कार्रवाई के लिए सरकार अथवा संबंधित अधिकारी को लिखना संविधान और विधि दृष्टि से मेरे कर्तव्य के दायरे में आता है।

कड़े तेवर दिखाते हुए रामनाईक लिखते हैं कि राज्यपाल होने के कारण सरकार के किसी मंत्री को मेरे विरुद्ध सार्वजनिक रूप से अमर्यादित एवं अपमानजनक बयान देने का संवैधानिक, विधिक अथवा नैतिक अधिकार नहीं है। खां द्वारा उनके खिलाफ सार्वजनिक रूप से दिया गया बयान आपके संज्ञान में लाना जरूरी है क्योंकि मंत्रिमंडल के किसी मंत्री द्वारा लिया गया निर्णय, कृत कार्यवाही अथवा सार्वजनिक रूप से दिया गया बयान मंत्रिमंडल के सामूहिक उत्तरदायित्व के दायरे में आता है। नाईक मुख्यमंत्री को बताते हैं कि पूर्व में भी आजम द्वारा उनके विरुद्ध सार्वजनिक रूप से दिये जाते रहे बयानों की ओर आपका ध्यान मेरे द्वारा दिलाया जाता रहा है। ‘ऐसा प्रतीत होता है कि आपकी कैबिनेट के नंबर दो मंत्री द्वारा मेरे प्रति अपने व्यवहार में सुधार नहीं लाया गया है इसलिए उक्त संसदीय कार्य मंत्री का आशय का नितान्त असंवैधानिक,अमर्यादित एवं दायित्वहीन आचरण आपके लिए चिन्ता का विषय होना चाहिए। रामनाईक कहते हैं कि अगर वह गलत होते तो राष्ट्रपति द्वारा कोई कार्रवाई की जाती।

विदित हो कि आजम ने पिछले दिनों राज्यपाल के खिलाफ राष्ट्रपति से शिकायत की थी। रामनाईक भी फैसल द्वारा आजम पर लगाए गए आरोपों के संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिख चुके हैं। रामनाईक ने पत्र के साथ प्रमुख अखबारों के 10 दिसंबर के अंक में प्रकाशित संबंधित खबर की छाया प्रति संलग्न करते हुये मुख्यमंत्री से अपेक्षा की है कि वह इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्यपाल जैसी संवैधानिक संस्था की गरिमा एवं मर्यादा को अक्षुण रखने की दृष्टि से अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करें।

उल्लेखनीय है कि आजम और राजभवन के बीच विवाद कोई नया नहीं है। रामनाईक ने आजम के विभाग से संबंधित कई फैसलों को कानूनी दृष्टि से सही न मानते हुए हरी झंडी नहीं दी है। इससे नाराज आजम के निशाने पर जब-तब राज्यपाल रहते हैं। आजम, विधानसभा के अंदर से लेकर सार्वजनिक मंचों से राज्यपाल पर निशाना साधते रहे हैं। विधानसभा में की गई टिप्पणी का भी राज्यपाल द्वारा संज्ञान लेते हुए पत्र लिखने पर उसे कार्यवाही से बाहर कर दिया गया था। मुख्यमंत्री, राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे, तब राज्यपाल ने आजम के लिए कहा था कि वह संसदीय कार्य मंत्री के पद के लायक नहीं हैं। वैसे आजम कभी मुजफ्फरनगर दंगे तो कभी बुलंदशहर रेप कांड पर भी ऐसे बयान देते रहे हैं जिससे सरकार की किरकिरी ही हुई है।