मुंबई। कभी उदारीकरण का चेहरा रहे एटीएम की संख्या लगातार कम होती जा रही है। बीते पांच सालों में जहां एटीएम लगाने की संख्या तेजी से बढ़ रही थी, वहीं बीते छह महीने में इसमें कोई वृद्धि नहीं देखी जा रही है। बताते चलें कि जहां साल 2012-13 में देश में 1.1 लाख एटीएम थे, वहीं साल 2016-17 में इनकी संख्या 2.2 लाख तक पहुंच गई थी।श में कैश निकालने के काम आती है। कई सालों से इस सर्विस में रहने के बावजूद पिछले एक साल में इसके आधे से अधिक यानी करीब 700 मनी स्पॉट आउटलेट्स बंद हो गए हैं। ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) का बिजनेस संकट में है। कभी बैंकिंग उद्योग का महत्वपूर्ण घटक माने जाने वाले एटीएम अब मार्जिन नहीं होने से बंद हो रहे हैं।
एचडीएफसी बैंक के चीफ एक्जिक्यूटिव आदित्य पुरी के अनुसार जैसे-जैसे हम डिजिटल पेमेंट की ओर बढ़ते हैं, हम एटीएम से होने वाले लेन-देन में कमी देखते हैं। शुरुआती दिनों में एटीएम के जरिये एचडीएफसी बैंक ग्राहकों को अधिक संख्या में खुद से जोड़कर सबसे मूल्यवान बैंक बन गया था।
एटीएम की संख्या साल 2012 में करीब एक लाख थी, जो साल 2015 तक दोगुनी होकर करीब 2 लाख तक पहुंच गई। मगर, पिछले छह महीनों में इसमें कोई वृद्धि नहीं देखी गई है। एटीएम से डेबिट कार्ड लेन-देन की संख्या 75 करोड़ प्रतिमाह से गिरकर 66 करोड़ लेनदेन प्रतिमाह तक पहुंच गई है।