पंचायत सहायकों की भर्ती कर ग्राम पंचायतों में रोजगार उपलब्ध करवाने की कवायद पर उंगलियां उठने लगी हैं। पहले सीएचसी संचालकों ने भर्ती में तरजीह देने के वादे की वादा खिलाफी का आरोप लगा कर भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए। अब ऑपरेशन कायाकल्प के क्रियान्वयन के बाद ग्राम पंचायतों में पहले से ही रखे पंचायत सहायक/ कम्प्यूटर ऑपरेटर्स ने उनको पहले रखने और अब हटा कर नई भर्ती करने के सवाल सरकार पर दागे हैं।जनपद में लगभग दो वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन कायाकल्प के तहत 413 ग्राम पंचायतों में पंचायत घरों की मरम्मत, सुदृणीकरण कार्य करवाया गया था। दो चरण में बनाए गए पंचायत सचिवालयों में ग्राम पंचायतों ने एक-एक कम्प्यूटर ऑपरेटर/ पंचायत सहायक की नियुक्ति भी की थी।पंचायती राज अधिनियम के तहत नियुक्त किए गए कम्प्यूटर ऑपरेटर/ पंचायत सहायकों को प्रति माह तीन हजार की दर से छह माह का मानदेय भी दिया गया था पर अब उनकी सेवाओं पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। नए सिरे से होने वाली पंचायत सहायकों की भर्ती ने चार सैंकड़ा से अधिक युवाओं में सिहरन पैदा कर दी है। पूर्ण रूप से दिव्यांग व बतौर पंचायत सहायक टोंडरपुर ब्लॉक की सैदपुर ग्राम पंचायत के पंचायत घर में में अपनी सेवाएं दे रहे विशाल गौरव ने कहा नई व्यवस्था में उनकी ग्राम पंचायत पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हो गई है।इस कारण वो अब भर्ती प्रक्रिया में प्रतिभाग भी नहीं कर पा रहे हैं। शासन व प्रशासन के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा हम सभी की मांग हैं, जिन ग्राम पंचायतों में पूर्व में भर्ती की जा चुकी है, उन ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायक न रखे जाएं। डीपीआरओ गिरीश कुमार का कहना है कि ग्राम पंचायत कार्यालय में रखे गए कम्प्यूटर ऑपरेटर्स अस्थाई व्यवस्था के तहत रखे गए थे। अब शासन के निर्देशानुसार पंचायत सहायक रखे जा रहे हैं। शासन से जो भी निर्देश मिल रहे हैं उनका पालन किया जा रहा है।
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