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यूपी में टोल कंपनियों ने सरकार को लगाया 287 करोड़ का चूना, करारों में हो गई स्‍टाम्‍प चोरी 

जनता की गाढ़ी कमाई से टोल वसूल कर कंपनियां अपना खजाना भर रही हैं। वहीं इन कंपनियों ने प्रदेशभर में सरकार को 287 करोड़ रूपए का चूना लगा रखा है। लखनऊ, गोरखपुर, मेरठ, अयोध्या, अलीगढ़ सहित 29 जिलों में स्टाम्प को लेकर पिछले 10-10 वर्षों से वाद लंबित हैं। यह वह वाद हैं जो टोल कंपनियों व एनएचएआई के बीच हुए करारों में स्टाम्प चोरी की गई।एनएचएआई हाइवे तैयार कर उस पर टोल भी लगाती है। टोल की वसूली के लिए एनएचएआई दूसरी प्राइवेट कंपनियों को ठेका देती है। जब एनएचएआई प्राइवेट कंपनियों से करार करती है तो रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करने के लिए स्टाम्प भी लगाए जाते हैं। एग्रीमेंट के दौरान ही कंपनियों ने जितने की स्टाम्प डयूटी बनती थी, उतने स्टाम्प नहीं लगाए। इसका सीधा नुकसान यूपी सरकार को हुआ। अलीगढ़ से बरौली विधायक विधानसभा सत्र में सवाल करते हुए पूछा कि प्रदेश में कहां-कहां पर व कितनी धनराशि की एनचएआई व टोल संग्रहकर्ता के बीच हुए करार में स्टाम्प चोरी के प्रकरण सामने आए हैं। इस पर प्रदेश के स्टाम्प व न्यायालय शुल्क और पंजीयन विभाग मंत्री स्वतंत्रा प्रभारी रवीन्द्र जायसवाल ने जवाब दिया। प्रदेश के समस्त जनपदों में 73 मामले स्टाम्प चोरी के प्रकाश में आए हैं। जिसमें 69 में वसूली के लिए स्टाम्प वाद दायर किए गए हैं।

अलीगढ़ में सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा

विधानसभा में रखी गई शहरों की सूची में अलीगढ़ टॉप पर है। यहां 56 करोड़ रुपये के स्टाम्प की चोरी की गई है। रायबरेली 1.31 करोड़, भदोही 1.46 करोड़, मुरादाबाद 25.54 करोड़, लखनऊ 18.63 करोड़, अयोध्या 42 करोड़, देवरिया 7.65 करोड़, गोरखपुर 12.51 करोड़, हाथरस 4.99 करोड़, बहराइच 17 लाख, अम्बेडकर नगर 21 लाख, जालौन 9.44 करोड़, वाराणसी 6.79 करोड़, कुशीनगर 12.59 करोड़, ललितपुर 77 लाख, कानपुर देहात 3.67 करोड़, बाराबंकी 87 लाख, अमरोहा 7.69 करोड़, आगरा 2.68 करोड़, हापुड़ 2.24 करोड़, फिरोजाबाद 10.26 करोड़, झांसी 10.76 करोड़, बस्ती 23 करोड़ और मेरठ में 25 करोड़ की चोरी की गई है

गजब, अलीगढ़ में 100 रुपये के स्टाम्प पर 1141 करोड़ का अनुबंध

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) ने 2010 में अलीगढ़ से गाजियाबाद तक फोरलेन का निर्माण कराया गया था। इसमें नई दिल्ली के बसंत विहार की कंपनी गाजियाबाद-अलीगढ़ एक्सप्रेस वे प्राइवेट लिमिटेड को भी निर्माण कार्य की जिम्मेदारी मिली। एनएचएआइ ने कंपनी के साथ करार किया कि वह सड़क निर्माण के बदलने में उसे 24 साल तक गभाना टोल प्लाजा पर टोल टैक्स वसूलने का अधिकार मिलेगा। दोनों के बीच 100 रुपये के स्टांप पर अनुबंध हो गया। अनुबंध के आधार पर कंपनी ने गभाना टोल प्लाजा पर वसूली शुरू कर दी, 2016 में स्टांप व निबंधन विभाग ने दोनों के बीच हुए करार को अवैध ठहराते हुए जांच शुरू कर दी। दावा किया कि इस अनुबंध पर संबंधित कंपनी को स्टांप ड्यूटी भी अदा करनी चाहिए, लेकिन नहीं की। तत्कालीन एआइजी (स्टांप) जीएस त्रिपाठी ने जांच की तो 1141 करोड़ रुपये की डीड के आधार पर चार फीसद शुल्क (दो फीसद स्टांप शुल्क व दो फीसद विकास शुल्क) यानि 45 करोड़ की स्टांप चोरी सामने आई। जिस पर ब्याज भी लगाया गया है।विधानसभा सत्र में टोल कंपनियों पर पर बकाया चल रहा स्टाम्प शुल्क के संबंध में सवाल पूछा था। जिसके एवज में जवाब मिला है कि 287 करोड़ रूपए की बकाएदारी है। यह पैसा कंपनियों से वसूला जाए ताकि प्रदेश के विकास में काम आ सके।