यूपी विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और आजमगढ़ के दीदारगंज से बसपा विधायक सुखदेव राजभर का सोमवार शाम निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे और काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्होंने लखनऊ के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।
मंगलवार सुबह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ स्थित उनके आवास पर उन्हें श्रद्घांजलि दी।
बसपा विधायक सुखदेव राजभर ने करीब चार माह पहले स्वास्थ्य का हवाला देते हुए राजनीति से सन्यास लेने का एलान किया था। उन्होंने कहा था कि कांशीराम के साथ मिलकर शोषितों, वंचितों, दलितों व पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ी। बदलती हुई परिस्थितियों में यह महसूस कर रहा हूं कि इनकी आवाज को शोषणकारी सरकार द्वारा दबाया जा रहा है।
उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखकर बेटे कमलाकांत राजभर को सपा के हवाले करने की बात कही थी। इसके बाद अखिलेश यादव उनके आवास पर गए थे और मुलाकात की थी।
सुखदेव राजभर का राजनीतिक सफर
आजमगढ़ जिले के बड़गहन गांव निवासी सुखदेव राजभर के एक पुत्र और पांच पुत्रियां हैं। वह वर्ष 1982 से 89 तक अखिल भारतीय राजभर महासंघ के कोषाध्यक्ष और उसके बाद अध्यक्ष रहे।
इसके अलावा विधान परिषद की विभिन्न समितियों के सदस्य भी रहे। वह वर्ष 1991 में पहली बार विधानभा सदस्य चुने गए। इसके बाद वर्ष 1993-1995 में विधानसभा चुनाव जीते और मुलायम सिंह यादव मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री सहकारिता, माध्यमिक, बेसिक शिक्षा बने।
वर्ष 1997 से 2002 तक विधान परिषद में रहे। मई 2002 में विधायक चुने गए और अगस्त 2003 तक मायावती मंत्रिमंडल में संसदीय कार्य मंत्री, वस्त्रोद्योग व रेशम मंत्री रहे। वर्ष 2007 से 2012 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे। सत्रहवीं विधानसभा के लिए वर्ष 2017 में पांचवीं बार विधायक चुने गए थे।
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