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दिल्ली में डेंगू : मरीजों को नहीं मिल रहे बेड, सरकारी आंकड़ों में ‘गायब’ हुए रोगी

डेंगू का संक्रमण अब राजधानी में गंभीर हो गया है। ज्यादातर अस्पतालों में मरीजों को बिस्तर तक नहीं मिल पा रहा है। वहीं, डॉक्टरों का कहना है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह दिल्ली में भी डेंगू का स्ट्रेन 2 मरीजों में देखने को मिल रहा है, जिसे काफी घातक माना जाता है। इतना ही नहीं, एम्स से लेकर तमाम प्राइवेट अस्पतालों तक में इनदिनों मरीजों को बिस्तर नहीं मिल पा रहा है। इसके पीछे कोरोना, पोस्ट कोविड और डेंगू तो है हीं, साथ ही दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीज भी काफी संख्या में है जिनका इलाज महामारी के चलते बीच में रुक गया था।हालांकि सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो दिल्ली में हालात बहुत अधिक गंभीर नहीं है। 

नगर निगम के अनुसार 16 अक्तूबर तक राजधानी में डेंगू संक्रमित 723 मरीजों की पहचान हो चुकी है जिनमें से एक मरीज की मौत भी पिछले महीने दर्ज की गई। इनमें से 243 मरीज पिछले एक सप्ताह में ही सामने आए हैं। पिछले कुछ सालों की स्थिति देखें तो दिल्ली में साल 2018 के बाद सबसे अधिक डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं। एक जनवरी से 16 अक्तूबर के बीच साल 2020 में 395, 2019 में 644 और 2018 में 1020 मामले मिले थे। जबकि साल 2017 में 4726 और 2016 में 4431 मामले मिले थे। 

इन आंकड़ों के आधार पर जब बीते मंगलवार रात अमर उजाला’ ने राजधानी के अलग अलग सरकारी अस्पतालों की पड़ताल की तो पता चला कि दिल्ली एम्स के आपातकालीन विभाग में एक भी बिस्तर खाली नहीं था। सफदरजंग अस्पताल में वार्ड इस कदर भर चुके हैं कि बाहर जमीन पर मरीजों को लिटाना पड़ रहा है।

रोहिणी स्थित बाबा भीमराव आंबेडकर अस्पताल में एक ही बेड पर तीन-तीन मरीज मिले हैं। वहीं जीटीबी अस्पताल में भी बिस्तरों का अभाव मिला। प्राइवेट अस्पतालों की बात करें तो मैक्स पटपड़गंज के अलावा अपोलो, फोर्टिस, मणिपाल, आकाश, मैक्स साकेत में ज्यादातर बिस्तर हाऊसफुल चल रहे हैं। यहां डेंगू के अलावा कोरोना, पोस्ट कोविड, गैर कोविड के अलावा कैंसर इत्यादि के मरीज भी काफी हैं। नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग दोनों के अधिकारियों से जब जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो डेंगू को लेकर किसी ने टिप्पणी नहीं की। 

कई मौतों का हिसाब तक नहीं
दिल्ली एम्स के एक कर्मचारी ने पहचान छिपाते हुए बताया कि डेंगू की वजह से उन्होंने अपनी मां को खो दिया। उनकी मां काफी बीमार थीं और जब वे एम्स पहुंचे तो यहां बिस्तर खाली नहीं था। उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भी बिस्तर नहीं मिल पाया और आखिर में वे जब अपनी मां को लेकर सफदरजंग इन्क्लेव स्थित एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे तो वहां उनकी मां की मौत हो गई। कर्मचारी ने कहा कि अस्पतालों को देख ऐसा बिलकुल भी नहीं लग रहा कि डेंगू से अभी तक दिल्ली में एक ही मरीज की मौत हुई है। 

नया स्ट्रेन जानने के लिए सीक्वेसिंग का आदेश नहीं
पड़ताल के दौरान अस्पतालों के आपातकालीन विभाग में तैनात डॉक्टरों से जब नए स्ट्रेन की सीक्वेसिंग को लेकर जानकारी मांगी गई तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि दिल्ली सरकार या फिर नगर निगम ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है कि डेंगू संदिग्ध मरीज का सैंपल सीक्वेसिंग के लिए किसी लैब भेजना है। हालांकि सफदरजंग अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉ. विजय ने बताया कि डेंगू के चार स्ट्रेन होते हैं जिनमें से दूसरे नंबर का स्ट्रेन काफी गंभीर होता है। अभी के हालात देख साफ पता चल रहा है कि यह दूसरे स्ट्रेन का ही असर है लेकिन पुष्टि के लिए सीक्वेसिंग होना जरूरी है। 

एम्स ने एक सैंपल के आधार पर माना
एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि बीते सितंबर माह में एक मरीज के सैंपल की सीक्वेसिंग करवाई गई थी जिसमें स्ट्रेन 2 साबित हुआ। यह मरीज दिल्ली का ही निवासी था। इसलिए अब यह मानकर चल रहे हैं कि जो भी गंभीर डेंगू मरीज आ रहे हैं उन्हें स्ट्रेन 2 को लेकर ही उपचार दिया जाए।