दिल्ली से 11 नवंबर को रवाना होने के बाद यूपी के 18 जिलों से गुजरकर माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा रविवार को बनारस में शाम को 4:30 बजे पिंडरा पहुंचेगी। पिंडरा से बाबतपुर, अतुलानंद, सर्किट हाउस, चौकाघाट, तेलियाबाग, रथयात्रा, मंडुवाडीह, लंका मालवीय चौराहा होते हुए दुर्गाकुंड पर प्रतिमा पहुंचेगी और वहीं पर रात्रि विश्राम होगा।
मंदिर परिसर में सुबह छह बजे से ही पूजन का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। 15 नवंबर को सुबह सात बजे दुर्गाकुंड से प्रतिमा निकलेगी और गुरुधाम चौराहा, विजया म\ल, ब्राडवे होटल, मदनपुरा, गोदौलिया होते हुए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर चार पर 8:30 बजे पहुंचेगी।
आज ही आ सकते हैं सीएम योगी
मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा व अगवानी सीएम योगी आदित्यनाथ करेंगे। इसके बाद विधिविधान से काशी विश्वनाथ मंदिर के ईशान कोण में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होगी। ऐसे में संभावना है कि सीएम रविवार की देर शाम ही बनारस पहुंच सकते हैं। साथ ही वह समीक्षा बैठक के साथ ही मंदिर क्षेत्र का भ्रमण भी करेंगे। 15 नवंबर को प्राण प्रतिष्ठा के बाद सीएम रुद्राक्ष में धर्मगुरुओं से संवाद भी करेंगे।
पीएम मोदी ने दी थी देश को जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2020 को मन की बात कार्यक्रम में देश के लोगों को मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा में मिलने की जानकारी दी थी। कहा था कि हर एक भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि मां अन्नपूर्णा की सदियों पुरानी प्रतिमा कनाडा से भारत वापस लाई जा रही है। यह करीब 108 साल पहले वाराणसी के एक मंदिर से चोरी हुई थी।
18वीं सदी की है प्रतिमा
बलुआ पत्थर से बनी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 18वीं सदी की बताई जाती है। मां एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच लिए हुए हैं। प्राचीन प्रतिमा कनाडा कैसे पहुंची, यह राज आज भी बरकरार है। लोगों का कहना है कि दुर्लभ और ऐतिहासिक सामग्रियों की तस्करी करने वालों ने प्रतिमा को कनाडा ले जाकर बेच दिया था। काशी के बुजुर्ग विद्वानों को भी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के गायब होने की जानकारी नहीं है।
कनाडा में भारतीय मूल की आर्टिस्ट की पड़ी थी नजर
मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना स्थित मैकेंजी आर्ट गैलरी के कलेक्शन का हिस्सा थी। इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकील नॉर्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार बनवाया गया था। 2019 में विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा को मैकेंजी आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी लगाने के लिए बुलाया गया था।
उन्होंने वहां रखी प्राचीन मूर्तियों का अध्ययन करना शुरू किया तो उनकी नजर मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा पर पड़ी। जब उन्होंने रिकॉर्ड खंगाला तो पता लगा कि वर्ष 1913 में वाराणसी के गंगा किनारे स्थित एक मंदिर से ऐसी ही मूर्ति गायब हुई थी। जिसे मैकेंजी आर्ट गैलरी ने हासिल किया था।